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Lifelong learning

Lifelong learning या निरंतर सीखना क्या है

Lifelong learning या निरंतर सीखना क्या है?

Lifelong learning - शिक्षा के प्रति एक ऐसा दृष्टिकोण है, या एक ऐसी अवधारणा है जिसके अनुसार सीखने की प्रक्रिया जीवनभर चलती रहती है और यह दैनिक दिनचर्या से जुड़ी होती है। दूसरे शब्दों में, यह एक ऐसी आदत है जो सीखने को सतत बनाती है, यह एक स्व-शिक्षा पर केंद्रित विचारधारा है, और साथ ही यह एक वैश्विक प्रवृत्ति भी है, जो तेजी से विकसित होती टेक्नोलॉजी और बाजार क्षेत्रों के कारण उत्पन्न हुई है, जहाँ निरंतर अपने स्किल्स में सुधार किया बिना और नए स्किल्स प्राप्त किए बिना रहना असंभव हो गया है। इस प्रकार, जो व्यक्ति lifelong learning की अवधारणा का पालन करता है, वह नियमित रूप से एजुकेशनल कोर्सेज लेता है, कॉर्पोरेट ट्रेनिंग में भाग लेता है, एजुकेशनल पॉडकास्ट सुनता है और अलग-अलग दूसरे तरीकों से नया ज्ञान अर्जित करने और अपने मौजूदा ज्ञान का विस्तार करने का प्रयास करता है। lifelong learning का मुख्य उद्देश्य यह है कि व्यक्ति अपने विकास को कभी न रोके और आधुनिक प्रवृत्तियों, बाजार की आवश्यकताओं और मांगों के अनुसार ख़ुद को बनाए रखे।

व्यावहारिक रूप से, निरंतर सीखना किसी संकीर्ण क्षेत्र की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि कार्य क्षेत्र से जुड़ी स्किल्स में महारत हासिल करना, आत्म-विकास को लक्षित करना, नई भाषाओं को सीखना, नई सहायक विशेषज्ञताओं और रचनात्मक अनुभव प्राप्त करना आदि। अक्सर lifelong learning को इस सिद्धांत के आधार पर विभाजित किया जाता है कि आप किस प्रकार की स्किल्स का विकास कर रहे हैं - Hard skills यानी तकनीकी कौशल, या Soft skills यानी सहायक या व्यवहारिक कौशल, जो hard skills को ज़्यादा प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करती हैं।

Lifelong learning इतनी जरूरी क्यों है

आधुनिक दुनिया में lifelong learning का महत्व केवल व्यक्ति के आत्मविकास की इच्छा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई बाहरी कारकों पर भी निर्भर करता है। इनमें शामिल हैं:

  • टेक्नोलॉजी का समग्र विकास, ग्लोबलाइजेशन और lifelong learning को एक must-have ट्रेंड में बदलना। जैसे-जैसे दुनिया ज़्यादा जटिल होती जाती है, वह विशेष ज्ञान और स्किल्स की मांग करने लगती है, ताकि आप उसकी विशेष संभावनाओं का लाभ उठा सकें। उदाहरण के लिए, काम में ChatGPT जैसे उपकरण का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए, यह समझना आवश्यक है कि वह कैसे कार्य करता है और सही ढंग से प्रोम्प्टस कैसे तैयार किए जाएं - अर्थात्, पहले इस बारे में सीखना आवश्यक होता है।

  • लेबर मार्केट में प्रतिस्पर्धा। ऊपर दिए गए परिवर्तनों के कारण, ऐसे उम्मीदवारों की मांग बढ़ रही है जो ज़्यादा कुशल और वर्तमान ट्रेंड्स के अनुकूल हों। इसके साथ ही, कुछ पेशे समय के साथ समाप्त हो रहे हैं, जबकि शेष बचे हुए पेशों के लिए आवश्यकताएँ बदल रही हैं। सफलतापूर्वक रोजगार प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को नए मानकों के अनुरूप होना आवश्यक है।

  • करियर में विकास और करियर की संभावनाएँ। नया ज्ञान अर्जित करना व्यक्ति को अपने आंतरिक, अक्सर छिपे हुई क्षमता को साकार करने में मदद करता है, जिससे उसके सामने नई करियर संभावनाएँ और दृष्टिकोण खुलते हैं, जिनमें प्रोफ़ेशनल कनेक्शन्स और नेटवर्किंग का विकास भी शामिल है। हालाँकि, यह विषय lifelong learning के लाभों से संबंधित है, जिन पर अलग से विस्तार से चर्चा करना सही होगा।

Lifelong learning के 10 फायदे

Lifelong learning के 10 फायदे

यदि lifelong learning के फायदे और नुकसानों की बात करें, तो सब कुछ बहुत सरल है - इसके केवल फायदे ही हैं! और वे भी बहुत ज़्यादा हैं, उदाहरण के लिए:

1. व्यावसायिक योग्यता में वृद्धि

इसके परिणामस्वरूप, संभावित वेतन वृद्धि भी संभव है। दरअसल, जितना ज़्यादा दक्ष और कुशल कोई विशेषज्ञ होता है, वह उतना ही ज़्यादा मूल्यवान बन जाता है, खासकर यदि वह एक क्रॉस-फंक्शनल स्पेशलिस्ट हो, जिसके पास कार्यों और स्किल्स का व्यापक सेट हो। दुनिया और तकनीकों में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव हर क्षेत्र पर पड़ता है, और lifelong learning की अवधारणा समय के साथ कदम मिलाकर चलने, प्रतिस्पर्धियों से पीछे न छूटने और आधुनिक नियोक्ताओं की अपेक्षाओं को ज़्यादा प्रभावी ढंग से पूरा करने में सहायक बनती है।

2. व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति

जब कोई व्यक्ति lifelong learning का अनुसरण करता है, तो वह न केवल अपने लिए नए और रुचिकर क्षेत्रों की खोज करता है, बल्कि आत्मविश्वासी भी बनता है और अक्सर आंतरिक संसाधनों की पूर्ति भी करता है (क्योंकि बहुत से लोगों के लिए lifelong learning एक शौक और जीवन का प्रमुख रुचिकेंद्र बन जाती है)। साथ ही, यह कभी पता नहीं चलता कि आत्मविकास किस दिशा में ले जाएगा - कुछ लोग तो बिल्कुल अलग क्षेत्र में चले जाते हैं और अपने लिए नई पेशों की खोज कर लेते हैं।

3. नेटवर्किंग और बिज़नेस कांटेक्ट को बढ़ाना

अक्सर lifelong learning में सामाजिक गतिविधियाँ भी शामिल होती हैं, चाहे वह विषयगत सम्मेलनों में भाग लेना हो या पेशेवर मंचों पर समान विचारधारा वाले लोगों के साथ बातचीत करना। यह नई जान-पहचान बनाने, नेटवर्क का दायरा बढ़ाने, दीर्घकालिक संबंध स्थापित करने, साझेदारों, सहकर्मियों और यहाँ तक कि नए नियोक्ताओं को खोजने में मदद करता है। कुल मिलाकर, सामाजिक सक्रियता में वृद्धि होती है।

4. सांस्कृतिक और सूचना संबंधी जागरूकता

जो व्यक्ति निरंतर अध्ययन करता है, वह हमेशा दुनिया के घटनाक्रम से अवगत रहता है और कम से कम अपने पेशे से जुड़ी घटनाओं से परिचित होता है। इसके बाद कोई भी खबर आपको चौंका नहीं सकती।

5. अनुकूलन क्षमता में वृद्धि

निरंतर अध्ययन करते हुए, आप संभावित संकटों और परिवर्तनों के लिए ज़्यादा तैयार रहेंगे, निरंतर शिक्षा आपकी सामान्य अनुकूलन क्षमता को भी बढ़ाती है, और नए स्किल्स प्राप्त करने के कारण आप हमेशा परिस्थितियों के बावजूद दिशा बदलने या नए आय स्रोत बनाने के अवसर पा सकते हैं।

6. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभ

निरंतर अध्ययन मस्तिष्क की सक्रियता को बनाए रखने में मदद करता है, जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है यदि आपकी आयु चालीस वर्ष से ज़्यादा है। सब कुछ न्यूरल कनेक्शनों पर निर्भर करता है: जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो नए न्यूरल सर्किट बनते हैं, जिससे मस्तिष्क "जीवित" हो जाता है और वह चीज़ जो न्यूरोप्लास्टिसिटी कहलाती है, बढ़ती है। सरल शब्दों में, हमारे दिमाग की लचीलापन। और कुछ शोधों के अनुसार, निरंतर अध्ययन डिमेंशिया, अल्जाइमर की बीमारी और अन्य अपक्षयकारी विकारों के जोखिम को भी कम करता है।

7. सक्रिय जीवनशैली

ऊपर दिये गये कॉन्फ्रेंस या कोर्सेस में भाग लेना यह संकेत करता है कि आपको घर से बाहर निकलना होगा, और यह इस समय के लिए एक सकारात्मक पहलू है, जब हम अपना ज्यादातर समय घर या कार्यालय में लैपटॉप स्क्रीन के सामने बिताते हैं। निरंतर अध्ययन, शारीरिक गतिविधि के अलावा, सक्रिय जीवन दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देता है, यह अपने दृष्टिकोण को आकार देने, विभिन्न मामलों में विशेषज्ञता बढ़ाने की प्रक्रिया को शामिल करता है।

8. निष्क्रिय आय का स्रोत बनाने का अवसर

नई क्षमताएँ न केवल आपको लेबर मार्केट में ज़्यादा मूल्यवान बनाती हैं, बल्कि अतिरिक्त आय के लिए नए अवसर भी उत्पन्न करती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप मार्केटिंग में विशेषज्ञ हैं और फोटोग्राफी स्किल्स प्राप्त करते हैं, तो आप न केवल उत्पाद की तस्वीरें खींचने और ज़्यादा प्रभावी विज्ञापन अभियान चलाने में सक्षम होंगे, बल्कि फोटोज़ को फोटो स्टॉक में पब्लिश कर के पैसे भी कमा सकते हैं। व्यापार में lifelong learning भी अविस्मरणीय है, क्योंकि इसके माध्यम से आप लीडरशिप स्किल्स भी विकसित कर सकते हैं।

9. जीवन में जिज्ञासा और रुचि को प्रोत्साहित करना (जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल्यवान है)

या उन लोगों के लिए है, जो अपने क्षेत्र में "ग्लास सीलिंग" तक पहुँच चुके हैं, जोकि आखिरकार हर किसी के साथ होता है। आप कितनी ही बार ऐसे लोगों से मिलते हैं जिन्हें अब कुछ भी दिलचस्प नहीं लगता और जो हर चीज़ से थक चुके होते हैं? lifelong learning इस तरह की प्राकृतिक मानव विशेषता, जैसे जिज्ञासा, को बनाए रखने में मदद करता है और आपके रोज़मर्रा के जीवन में अर्थ लाता है।

10. वे स्किल्स, जिन्हें आप विकसित करते हैं

चाहे आप जो भी सीख रहे हों, इसे काम में और शायद व्यक्तिगत जीवन में भी लागू किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सार्वजनिक स्थान पर बोलने की कला, जिसे आप सम्मेलन में प्रभावी ढंग से बोलने या बातचीत करने के लिए सीखना चाहते थे, आपको यह कंपनी की जान बनने और नए दोस्त बनाने में मदद करेगी, जबकि भावनात्मक बुद्धिमत्ता आपको संघर्षों को समझदारी से सुलझाने, तनाव से निपटने आदि में मदद करेगी। कोई भी स्किल इस या उस तरीके से आपके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाता है, और lifelong learning यही है - निरंतर नई स्किल्स सीखना।

Lifelong learning को लागू करने का प्लान

Lifelong learning को लागू करने का प्लान

जो लोग लाइफलोंग लर्निंग को अपनी जीवनधारा बनाना चाहते हैं, उनके लिए हम एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड प्रस्तुत करते हैं। यह करने के लिए आपको ये कदम उठाने होंगे:

स्टेप 1. अपनी शिक्षा के लक्ष्य निर्धारित करें

लक्ष्यों को समझना न केवल उन स्किल्स और क्षेत्रों का चयन करने में मदद करेगा जिन्हें आप सीखना चाहते हैं, बल्कि यह दीर्घकालिक दृष्टिकोण में प्रेरणा बनाए रखने में भी मदद करेगा, क्योंकि किसी भी कार्य की सफलता आपकी प्रेरणा के स्तर पर निर्भर करती है। इसलिए, लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए आप SMART पद्धति का उपयोग कर सकते हैं, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि लक्ष्य:

  • स्पष्ट होना चाहिए। कोई भी विचार, अस्पष्ट या अनजाने शब्द से भरा नहीं होना चाहिए। "मैं अमीर बनना चाहता हूँ" की बजाय, यह बताएं कि आपके लिए यह अमीरी कैसे व्यक्त होती है, उदाहरण के लिए "मैं शहर N में एक मिलियन डॉलर का घर खरीदना चाहता हूँ।"

  • मापने योग्य होना चाहिए। आपको किसी तरह समझना होगा कि क्या आपका लक्ष्य हासिल करने योग्य है, या नहीं। पहले से इस बारे में सोचें कि आप इसे कैसे मापेंगे। यही कारण है कि ऊपर दिया गया उदाहरण "मैं अमीर बनना चाहता हूँ" सही नहीं है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि आपके लिए अमीरी क्या है, और यह कैसी है।

  • प्राप्त करने योग्य होना चाहिए। महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखना अच्छा है, लेकिन यह बात आपको भी माननी होगी, की शायद ही आप मंगल ग्रह पर घर ख़रीद पाएंगे या फिर हॉलीवुड में। ये सपनों की तरह होते हैं, जबकि आपका लक्ष्य ज़्यादा व्यावहारिक होना चाहिए। मध्यम स्तर के लक्ष्यों से शुरुआत करें, जो पहले से आपने जो कुछ हासिल किया है उससे ऊंचे हों, लेकिन फिर भी वास्तविक हों।

  • वास्तविक होना चाइए। सुनिश्चित करें कि आपका लक्ष्य वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक है और केवल आपकी इच्छाओं के साथ ही नहीं, बल्कि आपकी वास्तविक जरूरतों के साथ भी मेल खाता है। हो सकता है कि कुछ चीजें ज़्यादा महत्वपूर्ण और प्राथमिक हों, जिन पर पहले ध्यान देना चाहिए।

  • समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए। हर लक्ष्य की एक डेडलाइन होना चाहिए, लेकिन डेडलाइन भी वास्तविक और व्यावहारिक होनी चाहिए, ताकि वह आपको एक्शन के लिए प्रेरित करे, लेकिन मानसिक रूप से दबाव न डाले।

जब बात lifelong learning के लक्ष्य की होती है, तो इसका मतलब केवल शैक्षिक लक्ष्य नहीं है, जैसे "चीनी भाषा को किसी स्तर तक सीखना", बल्कि यह है कि यदि आप चीनी सीखते हैं तो आपको क्या मिलेगा। उदाहरण के लिए, प्रमोशन, विदेश में इंटर्नशिप करने का अवसर आदि। यह वांछनीय है कि आपका लक्ष्य बाहरी तत्वों से प्रभावित न हो, यानी कि आप इसे प्राप्त कर पाएंगे या नहीं - यह केवल आप पर ही नहीं, बल्कि तीसरे पक्ष पर भी निर्भर करता है। लेकिन यदि ऐसा लक्ष्य फिर भी आपको प्रेरित करता है और संतुष्टि प्रदान करता है, तो आप इसे अपना सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आपके विकास की दिशा तय करे, यानी यह समझने में मदद करे कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कौन-कौन से स्किल्स को विकसित करना चाहिए।

स्टेप 2. सुविधाजनक एजुकेशन इंस्ट्रूमेंट और फॉर्मेट चुनें

Lifelong learning, ट्रेडिशनल एजुकेशन मॉडल के विपरीत, समय या फॉर्मेट के लिहाज से, कड़ी रूपरेखाओं को जरूरी नहीं मानती। क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शिक्षा को अपने जीवन का हिस्सा बनाया जाए, इसलिए अत्यधिक बोझ और तनाव को नहीं बढ़ने देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास पहले से कोई काम है, तो आपको मास्टर डिग्री में प्रवेश या काम के बाद मुश्किल प्रोग्राम्स में दाखिला लेने की आवश्यकता नहीं है। आपको अपनी जरूरतों के अनुसार ज़्यादा लचीले और सुविधाजनक एजुकेशनल इंस्ट्रूमेंट्स चुनने चाहिए, जो lifelong learning के संसाधनों और मौजूदा तकनीकों के माध्यम से उपलब्ध हों। उदाहरण के लिए, Lectera के ऑनलाइन कोर्सेज, जिनके साथ आप लंच ब्रेक के दौरान या घर लौटते समय भी सीख सकते हैं।

अगर आपके लिए ऑनलाइन पढ़ाई करना ज़रूरी है, तो उतना ही समय निर्धारित करें, जितना आप बिना पछतावे के दे सकें और जो आपकी ज़िंदगी के दूसरे पहलुओं - जैसे सेहत और व्यक्तिगत जीवन - पर असर न डाले। कई बार यह समझना कि कौन-से फॉर्मेट्स आपके लिए सही हैं और कौन-से नहीं, केवल प्रयोग और अनुभव के ज़रिए ही संभव होता है। इसलिए अलग-अलग फॉर्मेट्स को आज़माने, उन्हें मिलाने या बारी-बारी से इस्तेमाल करने से न डरें, और जो तरीके आपके लिए कारगर नहीं हैं, उन्हें छोड़ने में भी संकोच न करें।

स्टेप 3: सीखने को धीरे-धीरे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शामिल करें

निरंतर सीखना - एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। इसलिए हमेशा छोटे कदमों से शुरुआत करें और एकदम से खुद को शिक्षा के गहरे समुद्र में न झोंकें! जैसे आप बिना आदत डाले सीधे पचास किलोमीटर की दौड़ में हिस्सा नहीं लेते, वैसे ही सीखने में भी एकदम से ऊँचा लक्ष्य तय करना सही नहीं होता। अगर आप शुरुआत में ही खुद से बहुत ज़्यादा उम्मीदें लगा लेंगे, तो लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही निराशा और मानसिक थकावट का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा, जैसा कि पहले बताया गया, lifelong learning को आपकी ज़िंदगी के अन्य पहलुओं पर हावी नहीं होना चाहिए - सभी क्षेत्रों में संतुलन बना रहना ज़रूरी है। शुरुआत दिन में सिर्फ़ 15-20 मिनट से करें और इस समय को अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर शामिल करें। जैसे: कॉफ़ी पीते समय किताब पढ़ना, बर्तन धोते समय 5 मिनट का पॉडकास्ट सुनना, सोने से पहले एक वीडियो लेक्चर देखना आदि।

स्टेप 4: साथ-साथ सेल्फ लर्निंग की क्षमता को भी विकसित करना शुरू करें

यह थोड़ा विरोधाभासी (और असुविधाजनक) लग सकता है, लेकिन lifelong learning स्किल्स भी खुद में एक अलग क्षेत्र हैं जिसे विकसित करना पड़ता है। सीखने को अपनी ज़िंदगी में शामिल करना अपने आप में एक कला है, और यह खासकर तब मुश्किल हो सकता है जब आपका काम और निजी जीवन दोनों बहुत व्यस्त हों। सिर्फ़ सीखने का सुविधाजनक फॉर्मेट चुनना ही काफी नहीं है, बल्कि अपने लिए सही तकनीकें और विधियाँ भी चुनना ज़रूरी है। आसान शब्दों में कहें, तो किसी को कोई जानकारी तभी समझ में आती है जब वह उसे दस बार हाथ से लिखे, जबकि कोई और उसे तब समझता है जब वह उसे किसी और को समझाता है। इसके अलावा, याददाश्त बढ़ाने के लिए कई प्रकार की नेमोनिक टेक्निक्स और अन्य उपाय भी हैं, जिन्हें आज़माकर आप अपने lifelong learning के सफर को और भी आसान बना सकते हैं।

स्टेप 5: समान सोच वाले लोगों को खोजें

ज़रूरी नहीं कि आप हमेशा किसी ग्रुप में बैठकर ही पढ़ाई करें, बल्कि अपने अनुभव को साझा करना, उन विषयों पर चर्चा करना जो आपके लिए अहम हैं, ज्ञान और समस्याओं का आदान-प्रदान करना बहुत मददगार हो सकता है। इससे न सिर्फ़ आपकी प्रेरणा बनी रहती है, बल्कि सीखी गई जानकारी को याद रखने में भी मदद मिलती है - खासकर तब, जब आपको जानकारी को दूसरों को सुनाकर या बातचीत के ज़रिए समझना आसान लगता है। इसके लिए आप किसी विषय पर आधारित एजुकेशनल कम्युनिटी से जुड़ सकते हैं या सोशल मीडिया पर एक अलग चैनल शुरू कर सकते हैं। हो सकता है कि इससे आपको अपना खुद का एजुकेशनल ब्लॉग शुरू करने की प्रेरणा भी मिल जाए!

स्टेप 6: सीखने को अपनी आदत बना लें

सीखते रहिए जब तक कि यह आपकी आदत न बन जाए। इसमें एक महीने का समय भी लग सकता है या छह महीने भी - सबसे ज़रूरी है नियमितता और एक निश्चित समय-सारणी का पालन करना। आप इस शेड्यूल को अपनी ज़रूरतों, सेहत और सीखने के दौरान सामने आने वाले अनुभवों के अनुसार बदल सकते हैं - और ऐसा करना चाहिए भी। सबसे जरूरी बात यह है कि आप न रुकें । अगर कभी व्यस्तता या परेशानियों के कारण बिल्कुल भी समय नहीं मिल रहा हो, तब भी रोज़ कम से कम 5 मिनट किसी शैक्षणिक गतिविधि के लिए ज़रूर निकालें। ये छोटे-छोटे प्रयास आपको अपनी आदत से जोड़े रखेंगे और जब परिस्थितियाँ सुधरेंगी, तो आप आसानी से अपने lifelong learning के सफर पर फिर से लौट पाएंगे।

महत्वपूर्ण! अपनी प्रगति को ट्रैक करना न भूलें! इसके लिए आप आत्म-अध्ययन के लिए बने विशेष ऐप्स का उपयोग कर सकते हैं या एक डायरी भी रख सकते हैं। जैसे हर अच्छी आदत के साथ होता है, यहाँ भी यह ज़रूरी है कि आप अपनी कोशिशों के लिए खुद को सराहें और उन फायदों को नोट करें जो इन प्रयासों से आपको मिल रहे हैं। इससे आपकी प्रेरणा बनी रहेगी और आप लंबे समय तक लगातार सीखते रह पाएंगे।

चरण 7: यदि संभव हो, तो lifelong learning के लिए उपलब्ध प्रोग्रामों पर विचार करें

कई देश और संस्थाएँ "निरंतर सीखने का अधिकार" नाम से विशेष प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं, ताकि लोगों को आजीवन सीखते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसका उद्देश्य यह है कि 18 साल से ऊपर के वे लोग, जो पहले से उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, वे सरकार से वित्तीय सहायता लेकर अपनी पढ़ाई को सुविधाजनक तरीके से आगे बढ़ा सकें। वर्तमान में ऐसे प्रोग्राम आपको उदाहरण के तौर पर यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में मिल सकते हैं।

निरंतर सीखने (lifelong learning) की सर्वोत्तम रणनीतियाँ

निरंतर सीखने (lifelong learning) की सर्वोत्तम रणनीतियाँ

Lifelong learning की कई रणनीतियाँ मौजूद हैं, जिन्हें आप अपनी ज़िंदगी में आज़माकर देख सकते हैं कि कौन-सी आपके लिए सबसे ज़्यादा सही है। यह सलाह दी जाती है कि आप इन रणनीतियों को आपस में मिलाकर इस्तेमाल करें, क्योंकि इनका उद्देश्य एक-दूसरे का विकल्प बनना नहीं, बल्कि एक-दूसरे को पूरा करना है - और ये सबसे अच्छा तब काम करती हैं जब उन्हें एक साथ, समग्र रूप में अपनाया जाए।

Lifelong learning के लिए कुछ ऐसी रणनीतियाँ हैं, जो प्रेरणा और समग्र प्रभावशीलता को बढ़ावा देती हैं, उनमें शामिल हैं:

  • लक्ष्य निर्धारण। आदर्श रूप से, यह आपके सीखने की योजना का पहला कदम होना चाहिए, क्योंकि यही लक्ष्य आपके अध्ययन को एक संरचित और क्रमबद्ध दिशा प्रदान करता है।

  • प्रगति को ट्रैक करना। जैसा कि पहले कहा गया था, इसके लिए आप विशेष ऐप्स या प्लेटफ़ॉर्म्स, जैसे iStudiez का उपयोग कर सकते हैं, जो आपकी उपलब्धियों को ट्रैक करने में मदद करते हैं, या फिर आप साधारण डायरी का भी उपयोग कर सकते हैं। आप किसी स्टेशनरी की दुकान पर जाकर स्टूडेंट डायरी भी खरीद सकते हैं - दरअसल, यह भरने में बहुत सुविधाजनक होती है!

  • ट्रैकर्स का उपयोग। चूँकि शिक्षा भी एक आदत होती है, आप इसकी प्रक्रिया में आदतों को ट्रैक करने वाले सामान्य ट्रैकर का उपयोग कर सकते हैं।

  • प्रोत्साहन। प्रत्येक शैक्षिक उपलब्धि, पूरे किये हुए मटीरियल, कोर्स आदि के लिए खुद को पुरस्कृत करने की कोशिश करें।

  • समान सोच वाले लोगों से बातचीत। जब आप अपनी सफलता को ज़ोर से घोषित करते हैं, दूसरों के साथ साझा करते हैं और यह चर्चा करते हैं कि किसने किस समय में क्या हासिल किया, तो यह आपको आगे बढ़ने में प्रेरित करता है।

अपनी ज़िंदगी में lifelong learning को अपनाने के तरीकों में शामिल हैं:

  • पॉडकास्ट सुनना। आजकल Spotify जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर आप किसी भी विषय पर पॉडकास्ट पा सकते हैं, चाहे वह भौतिकी हो, इतिहास हो या भाषा सीखना। पॉडकास्ट का फायदा यह है कि वे मल्टीटास्किंग की अनुमति देते हैं: आप खाना बना सकते हैं और सीख सकते हैं, ट्रैफिक जाम में फसे हुए भी सीख सकते हैं, मोज़ेक पज़ल बनाते हुए भी आप सीख सकते हैं, आदि।

  • निःशुल्क शैक्षिक वीडियो देखना। उदाहरण के लिए, TED प्लेटफ़ॉर्म पर। प्रसिद्ध स्पीकर, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अक्सर ख़ुद ही उपयोगी कंटेंट बनाते हैं। YouTube पर भी आप कई शैक्षिक ब्लॉग पा सकते हैं, और कमेंट्स का उपयोग अपने सफलता पर चर्चा करने के लिए कर सकते है!

  • विशेषज्ञता और विषय से संबंधित साहित्य पढ़ना। बिल गेट्स एक आदर्श उदाहरण हैं, जो lifelong learning को व्यावहारिक रूप में अपनाते हैं। उनके अनुसार, वह हर साल कम से कम 50 किताबें पढ़ते हैं। वह यह काम "काइरोस" नामक छोटे अंतरालों में करते हैं - वे समय जब हमारे पास कुछ खास काम नहीं होते और हम सामान्यत: कुछ नहीं कर रहे होते हैं। उदाहरण के लिए, बस का इंतजार करते समय, या खाना ऑर्डर करने के बाद उसका इंतजार करते हुए, आदि।

  • ऑनलाइन कोर्सेस। उदाहरण के लिए, Lectera. Fast Education की विधि के कारण, इन कोर्सेस को आप केवल 20-25 मिनट प्रति दिन में पूरा कर सकते हैं, जो बिल्कुल सही है ताकि आप इन "काइरोस" समय का उपयोग कर सकें! इसमें न्यूनतम सिद्धांत और अधिकतम प्रैक्टिस होती है। इसके अलावा, यह कई भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे आप नई क्षमताएँ सीखने के साथ-साथ अपनी भाषा क्षमता को भी बेहतर बना सकते हैं।

  • इंटर्नशिप, वॉलंटियरशिप, मेंटरशिप। अपने खाली समय या सप्ताहांत में आप नए क्षेत्र में प्रैक्टिकल अनुभव प्राप्त करने की कोशिश कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप डिबेट क्लब में शामिल हो सकते हैं, नई मास्टर क्लास में पार्ट-टाइम काम कर सकते हैं, या उस सहकर्मी की मदद कर सकते हैं जो इस क्षेत्र में अध्ययन कर रहा है, उसे ट्यूटर के रूप में सहायता प्रदान कर सकते हैं, आदि। यह सब आपके ज्ञान को मजबूत करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

Lifelong learning - अब केवल एक फैशन या आवश्यकता नहीं है, यह जीवन का एक तरीका है और आपके भविष्य में एक महत्वपूर्ण निवेश है। हाँ, इसके लाभ तुरंत नहीं मिलेंगे, शायद एक साल या उससे भी ज़्यादा समय बाद मिले, लेकिन यह आपको सभी पड़ावों पर फायदे देगा - चाहे वह करियर, वित्तीय स्थिति या भावनात्मक संतुलन ही क्यों न हो। माना जाता है कि इंसान को अपनी सैलरी का कम से कम 5-10% अपने आत्मविकास में निवेश करना चाहिए। चूंकि हम सभी एक अप्रत्याशित और परिवर्तनशील दुनिया में जी रहे हैं, अगर हम भी उतने ही परिवर्तनशील और अनुकूलनशील बनें, तो ही हम अपने लिए एक स्थान सुनिश्चित कर सकते हैं, न केवल नौकरी में, बल्कि कामकाजी बाजार में अपने प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य को बनाए रख सकते हैं और आनेवाले कल में आत्मविश्वास महसूस कर सकते हैं।

Lifelong learning और अनुकूलनशीलता के पीछे की प्रेरक शक्ति निश्चित रूप से हमारी जन्मजात क्षमताओं और जीवन के प्रति दृष्टिकोण में निहित है। और साथ ही, कुछ भी आपके जीवन में रुकावट डालने का कारण नहीं बनना चाहिए। आज के समय में, जब इतने सारे लोग पहले ही lifelong learning के महत्ता को समझ चुके हैं, अपनी ज़िंदगी में निरंतर शिक्षा को शामिल करने और उसे उत्पादक बनाने के तरीके भी बहुत बढ़ गए हैं! इसलिए आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यह मायने नहीं रखता कि आपकी उम्र कितनी है, आपका अनुभव क्या है या आपका पेशा क्या है। EdTech का क्षेत्र हमेशा आपके लिए कुछ न कुछ पेश करेगा। बस चुनें और आज़माएं!

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