सिक्स सिग्मा
सिक्स सिग्मा क्या है?
सिक्स सिग्मा मेथड - यह उत्पादन-प्रबंधन का एक तरीक़ा है, जिसके तहत कार्य और उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार उनमें उपस्थित समस्याओं की खोज और उनके निष्पादन के द्वारा किया जाता है। इसमें उन मापदंडों पर ध्यान दिया जाता है जो उपभोक्ता के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। सिक्स सिग्मा धारणा का अविष्कार मोटोरोला कॉर्पोरेशन द्वारा 1986 में किया गया था, जब उत्पादों में बड़ी संख्या में उत्पादन संबंधी गुणता-दोष होने के कारण कम्पनी में बहुत अधिक शिकायतें आने लगी थीं। सिक्स सिग्मा मेथड को 90 के दशक में लोकप्रियता तब प्राप्त हुई जब जैक वेल्च ने उसे जनरल इलेक्ट्रिक की मुख्य रणनीति बनाया।
सिक्स सिग्मा मेथड में सांख्यिकीय और गुणवत्ता प्रबंधन विधियों के अलावा एक परिणाम मापक उपकरण और वे कार्य दल शामिल होते हैं जो समस्याओं का समाधान और व्यावसायिक प्रक्रियाओं में सुधार के लिए समर्पित होते हैं।
आप सिक्स सिग्मा मेथड को पूरी तरह से किसी भी कंपनी में लागू कर सकते हैं। इसके निष्पादन संबंधी सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- कार्यप्रवाह को जितना संभव हो सके उतना पूर्वानुमान लगाने योग्य बनायें (वे जितने ज्यादा पूर्वानुमानित होंगे, उन्हें नियंत्रित करना उतना ही सरल होगा)।
- सभी प्रक्रियाओं को मापने योग्य और विश्लेषण एवं बदलाव के लिए सरल बनायें।
- उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक के सभी कार्य समूहों को सम्मिलित करें।
- अपने लक्ष्य SMART प्रणाली के आधार पर तय करें (यानी कि ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें मापा जा सके, जैसे कि "त्रुटियों को 5% तक कम करना आदि)।"
- कोई भी निर्णय विश्लेषण और आंकड़ों के आधार पर ही लें।
सिक्स सिग्मा मेथड : अभ्यास और उपकरण
सिक्स सिग्मा नियम के अनुसार किसी भी त्रुटि को अगर समय पर न पहचाना जाए तो उसकी कीमत प्रक्रिया के प्रवाह के साथ बढ़ती जाती है। यानी उत्पादन के समय पायी गयी गलती उपभोक्ता द्वारा खोजी गयी गलती से लगभग 100 गुना सस्ती होती है। यही कारण है कि सिक्स सिग्मा विधि को DMAIC प्रणाली के आधार पर चरणों में लागू किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:
- define (परिभाषित करें) - तय करें कि समस्या कहाँ है।
- measure (मापें) - प्रक्रिया के प्रदर्शन को मापें और यह भी कि समस्या उसे कैसे प्रभावित कर रही है
- analyze (विश्लेषण करें) - इस बात का विश्लेषण करें कि सही मायने में असफलता का कारण क्या हो सकता है और उसे कैसे सुधारा जाये
- improve (सुधार) - इस कारण को समाप्त करने के लिए प्रक्रियाओं को बदलकर उनमें सुधार करें
- control (नियंत्रण) - इस बात की जांच करें कि क्या अपग्रेड करने से समस्या का समाधान हो पाया है।
विशेष टीम के अलावा, सिक्स सिग्मा सिस्टम में परिवर्तन नियंत्रण के साथ-साथ प्रबंधन की विधियों और उपकरणों का इस्तेमाल भी शामिल है:
- व्यवसायिक प्रक्रिया का एक खाका, जिसमें कंपनी के संसाधनों और उन कार्यों का वर्णन होता है जिन्हें हल करना है।
- A/B टेस्टिंग, विशेष सिद्धांतों की पुष्टि करने के लिए कुछ लोगों या परियोजनाओं के एक विशेष वर्ग पर समाधान का परीक्षण करना।
- लागत और और लाभ विश्लेषण। इसका इस्तेमाल समाधानों के उपलब्ध कई विकल्पों के बीच सर्वश्रेष्ठ का चुनाव करते समय किया जाता है। परिणामस्वरूप, कंपनी उस विकल्प को चुनती है जो सबसे उपयुक्त लागत-लाभ अनुपात प्रदान करता है।
- "पांच क्यों" प्रारूप के तहत सोच-विचार। सिक्स सिग्मा टीम एक साथ जुटती है और एक दूसरे से प्रभावहीन व्यावसायिक प्रक्रियाओं संबंधी सवाल पूछती है जो "क्यों ..." से शुरू होते हैं । यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक टीम समस्या और उसके कारणों का पता नहीं लगा लेती।
- CTQ ट्री। यह किसी दिये गये प्रोजेक्ट या प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण विशेषताओं वाला एक ट्री-डायग्राम होता है।
बदलाव को लागू करने के चरण में, सिक्स सिग्मा विधि को अलग-अलग टूल्स की ज़रूरत पड़ती है। सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले टूल्स की सूची में Pareto curve, Shewhart control chart, regression or variance analysis आदि शामिल हैं।
सिक्स सिग्मा धारणा : टीम की संरचना
सिक्स सिग्मा मेथड ओरिएंटल मार्शल आर्ट से प्रेरणा लेता है, इसलिए टीम के भीतर पद विभिन्न रंगों की "बेल्ट्स" पर आधारित होते हैं, और पूरी संरचना एक पिरामिड जैसी दिखती है। सिक्स सिग्मा टीम कुछ इस तरह दिखती है:
- नेता- यह शीर्ष पर होता है और कार्यों, संसाधनों तथा अधिकारों को निर्धारित करने की ज़िम्मेदारी उसकी होती है। वह संचार के लिए मुख्य सूत्र होता है, विवादों को हल करता है और टीम के अन्य सदस्यों की कार्य क्षमता को बढ़ाने में भूमिका निभाता है।
- चैंपियंस- ये सिक्स सिग्मा को लागू करते हैं और नये नियमों के अनुसार काम को व्यवस्थित करते हैं, साथ ही ये ब्लैक बेल्ट विशेषज्ञों के लिए मेंटॉर का काम भी करते हैं।
- मास्टर ब्लैक बेल्ट - यह बदलावों को नियंत्रित करता है, सिक्स सिग्मा को लागू करता है और ब्लैक बेल्ट विशेषज्ञों को निर्देश देता है।
- ब्लैक बेल्ट्स प्रभारी - ये बदलावों को लागू करते हैं, परियोजना का नेतृत्व करते हैं और यह मास्टर की देखरेख में नेता के निर्देशों का पालन करते हैं।
- ग्रीन बेल्ट धारक वे विशेषज्ञ होते हैं जो साधारण प्रक्रियाओं के अनुकूलन के लिए काम करते हैं, जिनके लिए 50% या उससे कम समय और संसाधनों की ज़रूरत पड़ती है।
- येलो और व्हाइट बेल्ट धारक- ये वे कर्मचारी होते हैं जिन्होंने सिक्स सिग्मा के कौशल सीख लिए होते हैं और इनमें अंतर केवल जानकारी के आधार पर होता है (येलो बेल्ट व्हाइट बेल्ट की तुलना में अधिक अनुभवी होते हैं)। वे कभी-कभी प्रक्रिया के सकारात्मक बदलाव में हिस्सा लेकर दूसरों की सहायता करते हैं। इस श्रेणी के विशेषज्ञों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है।
गुणवत्ता प्रबंधन उपकरण के रूप में सिक्स सिग्मा
व्यवहार में, सिक्स सिग्मा की अवधारणा को आमतौर पर पांच चरणों में लागू किया जाता है:
- वर्तमान स्थिति का आकलन करें और योजना के लक्ष्यों के अलावा अपने यूज़र्स की जरूरतों को भी निर्धारित करें। इसके आधार पर विशेषज्ञों की एक टीम बनाये जो आपके लक्ष्यों और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के मार्ग में आने वाली त्रुटियों को ढूंढेगी और उनको हल करेगी। इसके अलावा, आंतरिक विवादों से बचने के लिए टीम के हर सदस्य के दायित्व और अधिकार के क्षेत्रों को औपचारिक रूप दें।
- कंपनी की स्थिति के बारे में सही जानकारी जुटाये और उनके वर्तमान प्रदर्शन का आकलन करने के लिए प्रक्रियाओं के मापदंडों को मापें। आपको समस्या की पहचान करने और उसकी गहराई को समझने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, मोटोरोला का उदहारण लें - उनके पास उत्पाद की अच्छी कार्यक्षमता और सेवा की सुविधा है, लेकिन उत्पाद में खराबी की बड़ी समस्या है।
- जमा की गई जानकारी का विश्लेषण करें और उन कारणों को चिन्हित करें जो इन समस्याओं की उत्पत्ति और प्रक्रियाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, खराबी के बड़े कारण उत्पादन उपकरणों का पुराना हो जाना या उत्पाद के तैयार होने के बाद उत्पाद की जांच-पड़ताल करने वाले कर्मचारियों का काम के लिए पूर्णतः योग्य न होना हो सकते हैं।
- प्रक्रियाओं को अनुकूलित करें ताकि समस्या अपने आप दूर हो जाये। सबसे पहले प्रक्रिया का अनुकूलन पायलट मोड में करना चाहिए ताकि यह जांचा जा सके कि मूल कारण और उसे समाप्त करने का तरीका सही चुना गया है। उदाहरण के लिए कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करें या किसी एक मशीन टूल को यह देखने के लिए बदलें कि स्क्रैप रेट पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है।
- अगर इन परीक्षणों से ऐसे परिणाम मिलते हैं जो ख़राब उत्पाद की उत्पादन दर घटाते हैं तो उन्हें स्थायी आधार पर हर जगह लागू कर सकते हैं। बहरहाल, भले ही इन परिवर्तनों से उत्पादन प्रक्रिया को लाभ हुआ हो, आप नियमित रूप से आँकड़ों की जाँच करें और लगातार अन्य प्रक्रियाओं में सुधार करना जारी रखें क्योंकि एक प्रक्रिया में अनुकूलन अक्सर दूसरी प्रक्रिया में समस्या पैदा करता है।
सिक्स सिग्मा तरीके के व्यावहारिक प्रयोग को सीखने के लिए, आप उपयुक्त कोर्स चुनकर उपयुक्त प्रशिक्षण ले सकते हैं ।
विषय के अनुसार सीखना
बिज़नेस प्लानिंग और डेलिगेशन
प्लानिंग और डेलीगेशन का उपयोग करके बिना नुकसान के शांत प्रोजेक्ट को कैसे लागू किया जाए
सिक्स सिग्मा की शीर्ष कार्य-प्रणालियाँ
क्लासिक सिक्स सिग्मा विधि के अलावा Lean Six Sigma नाम की इसकी एक और विविधता है, जो लीन-मैन्युफैक्चरिंग को क्लासिक सिक्स सिग्मा से जोड़ती है। इस तकनीक का आविष्कार जापान में 1960 के दशक में टोयोटा के संस्थापक ताइची ओहनो ने किया था। यह पूर्वी दर्शन पर आधारित है, जिसके अनुसार सभी व्यावसायिक प्रक्रियाओं को पूर्णतः व्यवस्थित करने के प्रयास किये जाने चाहिए। और इसके लिए ज़रूरी है कि:
- कंपनी के सभी कर्मचारी उच्च परिणाम की प्राप्ति में रूचि रखें, सबके पास काम और खुद को सिद्ध करने के बराबर के अवसर हों, तभी ख़राब उत्पादों की संख्या न्यूनतम हो पाएगी;
- प्रबंधन और नियंत्रण मानवीय संसाधनों को आकर्षित करें तथा नवाचारों को सीमित न करें;
- कंपनी में प्रभावकारी कॉर्पोरेट कल्चर हो जिसमें सभी कर्मचारियों की सुविधाओं और उनके बीच आपसी सद्भाव बढ़ाने की दिशा में गुंजाईश हो;
- कंपनी का नेता समय पर समस्याओं को चिन्हित करे और टीम्स में अनुकूल माहौल बनाए रखे।
लीन सिक्स सिग्मा उन सभी सिद्धांतों का इस्तेमाल करता है, जिनका सिक्स सिग्मा मेथड करता है । इस तरह, सिक्स सिग्मा मेथड लीन मैन्युफैक्चरिंग का पूरक है, और साथ में ये दोनों किसी भी कंपनी के लिए संतुलित विकास रणनीति बनाते हैं जो सभी व्यावसायिक प्रक्रियाओं की गुणवत्ता और महत्त्व को बढ़ाती है।