GROW मॉडल
GROW मॉडल क्या है
GROW मॉडल एक प्रणालीगत दृष्टिकोण है, जिसका उपयोग समस्याओं को हल करने, लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें हासिल करने, दूसरों को सिखाने और आत्म-विकास के लिए किया जाता है। पारंपरिक परिभाषा के अनुसार, यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो चार स्टेप्स में विभाजित होती है और सही निर्णय लेने, किसी भी स्थिति को हल करने और नई जानकारी को तेजी से समझने में मदद करती है। GROW का उपयोग अक्सर मेंटरिंग, बिज़नेस और लाइफ कोचिंग में किया जाता है।
GROW शब्द के खुद के प्रत्येक अक्षर का अपना एक अर्थ है: goal - लक्ष्य, reality - वास्तविकता, options - विकल्प और forward या will - योजनाएं। सबसे पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप चाहते क्या हैं और आप किस लक्ष्य का पीछा कर रहे हैं। इसके बाद, आपको वर्तमान स्थिति को समझने और यह समझने की आवश्यकता है कि इस समय आपके पास क्या है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपके पास किस चीज की कमी है। जिसके बाद आपको समस्या के संभावित समाधान तैयार करने शुरू करना होगा या पहले स्टेप में अपनी योजना को लागू करने के अवसरों की तलाश करनी होगी। फाइनल स्टेप में एक सटीक सिनेरियो या स्पेशल प्लान विकसित करना शामिल है जो आपको आपके लक्ष्य तक ले जाएगा। प्रत्येक स्टेप को ज्यादा से ज्यादा लाभ के साथ पार करने के लिए, GROW मॉडल में सवाल पूछने की तकनीकों का उपयोग शामिल है, और आप इसके बारे में नीचे और ज्यादा जानेंगे।
हालांकि GROW विधि बहुत आसान लग सकती है, लेकिन इसका उपयोग फिर भी लक्ष्य को पुरे तरीकें से और सटीक रूप से निर्धारित करने के साथ-साथ इसे प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी रणनीति का निर्माण करने के लिए भी किया जाता है। यह एक प्रभावशाली और लचीला उपकरण है, जिसका उपयोग न केवल पेशेवर समस्याओं को हल करने में, बल्कि आत्म-विकास में भी किया जा सकता है। इसलिए, GROW का उपयोग व्यक्तिगत और टीम कोचिंग दोनों में किया जाता है।
GROW मॉडल का आविष्कार किसने किया
GROW विधि हाल के दस सालों में व्यावसायिक क्षेत्र में विशेष रूप से लोकप्रिय हुई है। हालांकि, इस मॉडल को 1980 के दशक में विकसित किया गया था। माना जाता है कि इसे ब्रिटेन के एक प्रमुख बिज़नेस ट्रेनर, सर जॉन व्हिटमोर ने विकसित किया था। उन्होंने सबसे पहले 1992 में अपनी किताब "हाई परफॉर्मेंस कोचिंग" में GROW शब्द का उपयोग किया और इस विधि का वर्णन किया।
उनका काम बेस्टसेलर बन गया, जिसे दुनिया भर में 500,000 से अधिक प्रतियों में बेचा गया और 17 भाषाओं में अनुवादित किया गया। इसके बाद, GROW को बिज़नेस ट्रेनर और मेंटर्स एलन फाइन और ग्रेहम अलेक्जेंडर के साथ-साथ एजेंसी McKinsey के कोच और वरिष्ठ सलाहकार मैक्स लैंड्सबर्ग ने 1996 में अपनी किताब "दा डाओ ऑफ़ कोचिंग" में इसे और बेहतर बनाया।
GROW तकनीक का उपयोग करने के लिए टेम्पलेट
GROW तकनीक के उपयोग की कोई यूनिवर्सल टेम्पलेट नहीं है, आप इसे अपने लिए सुविधाजनक फॉर्मेट में उपयोग कर सकते हैं। किसी टेबल का उपयोग करके डेटा की कल्पना करना सबसे अच्छा है, जो जानकारी को ज्यादा स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करेगी।
याद रखें कि GROW मॉडल में चार फैक्टर शामिल हैं:
-
G - Goal, या लक्ष्य;
-
R - Reality,; या हकीकत;
-
О - Options, या परिस्थितियाँ (या विकल्पों का प्रकार);
-
W - Will, या इच्छा।
हर एक फैक्टर के लिए GROW टेबल में चार कॉलम होने चाहिए। प्रोसेस में यह मॉडल इस प्रकार दिखता है:
Goal |
Reality |
Options |
Will |
तीन माह के भीतर डिपार्टमेंट की KPI बढ़ाना |
टीम पहल नहीं दिखाती है, अक्सर डेडलाइन चूक जाती है, कर्मचारी पर्याप्त रूप से प्रेरित नहीं होते हैं |
कर्मचारियों के पेशेवर कौशल को बेहतर करना और टीम को प्रोत्साहित करना आवश्यक है |
एक कॉर्पोरेट ट्रेनिंग कोर्स में भाग लेना, क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा सेमिनार और ट्रैनिग आयोजित करना, प्रेरक गतिविधियों की एक श्रृंखला आयोजित करना, KPI की गुणवत्ता और मात्रा के लिए नई आवश्यकताओं को पेश करना। |
Goal |
Reality |
Options |
Will |
अगले साल में प्रमोशन प्राप्त करना |
नेतृत्व क्षमताओं का अपर्याप्त विकास, जिम्मेदारी लेने का डर, लोगों के मैनेजमेंट में अनुभव की कमी। |
नेतृत्व क्षमता के विकास पर आधरित कोर्स पूरा करना, जिम्मेदारी के डर और निर्णय लेने के डर पर काबू पाना |
ऑर्गनिज़शन के लीडर्स से करियर के अवसरों और पेशेवर विकास की संभावनाओं पर चर्चा करना, अपनी योग्यता बढ़ाना, परियोजनाओं में छोटी टीमों का प्रबंधन शुरू करना। |
अब आइए प्रत्येक कॉलम को सही ढंग से भरने के तरीके पर करीब से नज़र डालें।
पहला स्टेप लक्ष्य निर्धारित करना है, अर्थात, इस मॉडल के उपयोग के परिणामस्वरूप आप जो हासिल करना चाहते हैं उसका सबसे सटीक और विशिष्ट सूत्रीकरण। भले ही आप व्यक्तिगत रूप से या एक टीम के रूप में GROW का उपयोग कर रहे हों, पहले कदम के रूप में निम्नलिखित सवालों का उत्तर देना सबसे अच्छा है:
-
मैं/हम क्या हासिल करना चाहते हैं?
-
क्या यह लक्ष्य पूरी कंपनी विकास रणनीति/मेरी व्यक्तिगत योजनाओं से मेल खाता है? क्या यह आपको नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करेगा?
-
सबसे अच्छा परिणाम क्या होगा?
-
यह किस लिए है?
-
कैसे समझें कि लक्ष्य प्राप्त हो गया है?
-
जब आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तो आपको क्या मिलेगा?
इन सवालों के जवाब देने के बाद ही आपको दूसरे स्टेप पर आगे बढ़ना चाहिए।
अगला कदम वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन करना है। इस स्टेप में यह पता लगाना आवश्यक है कि कौन-कौन सी समस्याएँ, बाधाएँ और विवादित मुद्दे लक्ष्य को प्राप्त करने में रुकावट डाल सकते हैं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अक्सर अनुभवी पेशेवर भी किसी कठिनाई को सुलझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन नाकाम रहते हैं, क्योंकि वे वास्तविक स्थिति के मूल्यांकन पर उचित ध्यान नहीं देते और मूल्यवान जानकारी को छोड़ देते हैं। समाधान अपने-आप सामने आ सकते है, जब आप या टीम के सभी सदस्य स्थिति का विश्लेषण करना शुरू करते हैं और हर छोटी चीज़ पर ध्यान देते हैं। इसके लिए, निम्नलिखित सवालों का जवाब देने की कोशिश करें:
-
अभी क्या हो रहा है? मैं /हम किन चीजों से असंतुष्ट हैं?
-
वर्तमान स्थिति का मेरी जिंदगी / करियर / टीम की कामकाजी स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है? वर्तमान स्थिति का परिणाम या प्रभाव क्या है?
-
इसमें कौन शामिल है?
-
इस समय मेरे/हमारे पास क्या संसाधन हैं?
-
क्या स्थिति को सुलझाने के लिए कोई कार्रवाई की गई है? उनके परिणाम क्या हैं?
-
क्या ऐसा पहले भी हुआ है?
-
क्या आपको वर्तमान स्थिति को सुधारने से रोकता है?
-
स्थिति को अच्छा करने में किस चीज़ की कमी है?
वर्तमान स्थिति का विश्लेषण और वस्तुनिष्ठ वास्तविकता का अनुभव हमें हमेशा चारों ओर की दुनिया के साथ संपर्क में रहने, होने वाली चीजों को जागरूकता से समझने और सबसे सही समाधान खोजने में मदद करता है। ठीक यही, मुश्किल परिस्थितियों को हल करने के लिए नए अवसरों की खोज, अगले स्टेप में होती है।
तीसरे स्टेप में एक रियल ब्रेनस्टॉर्म ऑर्गनाइज़ करना और स्थिति के विकास के दृष्टिकोणों को निर्धारित करना आवश्यक है। वर्तमान स्थिति के परिणामों के लिए जितनी संभव हो सके, उतनी संभावनाएं निकालें। सभी संभावनाओं और विकल्पों पर विचार करें। यदि पिछले स्टेप में वर्तमान स्थिति का विश्लेषण सबसे पूर्ण और व्यापक था, तो इसके विकास के विकल्पों की कमी नहीं होगी। इसके लिए निम्नलिखित सवालों का उपयोग करें:
-
अभी मेरे/हमारे विकल्प क्या हैं?
-
मैं/हम और क्या कर सकते हैं?
-
प्रत्येक विकल्प के फायदे और नुकसान क्या हैं?
-
प्रत्येक विकल्प को लागू करने में क्या कठिनाइयाँ हैं?
-
आपको पहले क्या करना चाहिए?
-
सबसे अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है? और इसके अलावा?
-
क्या होगा अगर..?
-
लक्ष्य को प्राप्त करने में कौन -कौन सी मुख्य बाधाएँ आ रही हैं?
-
उन्हें कैसे ख़त्म किया जा सकता है?
सभी संभावित नजरियों से स्थिति पर विचार करने की कोशिश करें, यहां तक कि उन विकल्पों का भी मूल्यांकन करें जो असंभव लगते हैं। कौन जानता है, शायद आप उन्हें साकार करने का कोई तरीका खोज लें।
फाइनल स्टेप आपके इरादों को स्पष्ट करने का है। इस समय तक, आप या आपकी टीम को यह स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि आप किस स्थिति में हैं, आपके लक्ष्य क्या हैं, उन्हें प्राप्त करने की संभावनाएँ क्या हैं, और किन बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। अब केवल एक योजना बनाने की आवश्यकता है, यानी उन विशिष्ट कामों की एक क्रमबद्ध सूची, जिन्हें लागू करना है ताकि सब कुछ हकीकत में लाया जा सके और GROW सर्किल पूरा हो सके। यह निर्धारित करने में कि किससे शुरू करना है, निम्नलिखित सवाल आपकी मदद करेंगे:
-
आपको पहले क्या करना चाहिए?
-
अगला कदम क्या है? काम करने का यह क्रम सबसे ज्यादा प्रभावी क्यों है?
-
प्रत्येक स्टेप को किस समय सीमा में पूरा किया जाना चाहिए?
-
ऐसा क्या है, जो आपके कामों में हस्तक्षेप कर सकता है?
-
इन बाधाओं को कैसे पार किया जा सकता हैं?
-
प्रगति को कैसे ट्रैक करें?
इस प्रकार, आप एक स्पष्ट योजना, लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक रणनीति तैयार करेंगे और संभावित कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, यहां तक कि सबसे छोटे विवरण का आकलन करते हुए और इस प्रक्रिया की गतिशीलता पर नज़र रखते हुए, व्यवस्थित रूप से एक स्टेप से दूसरे स्टेप पर जाने में सक्षम होंगे।
GROW मॉडल का सबसे प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे करें: Lectera विशेषज्ञों की सलाहें
GROW मॉडल से जल्दी ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए, हमारे पास प्रत्येक स्टेप के लिए कुछ सिफारिशें हैं।
सिफारिश 1: पहले स्टेप में SMART तकनीक का उपयोग करें
लक्ष्य निर्धारित करने से पहले, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह SMART के सभी मापदंडों को पूरा करता है:
-
S - विशेष (specific), अर्थात् लक्ष्य को ज्यादा से ज्यादा स्पष्ट और सटीक होना चाहिए। इसे इस तरह से बनाना आवश्यक है कि इसे डबल मीनिंग न हो और यह स्पष्ट करने की आवश्यकता न हो कि इसका क्या अर्थ है।
-
M - मापने योग्य (measurable), दूसरे शब्दों में, लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति का मूल्यांकन करने की क्षमता होनी चाहिए। सबसे अच्छा है कि यह निर्धारित करें कि किस मान को संख्या में प्राप्त करना है। उदाहरण के लिए, केवल राजस्व में बढ़ाना ही नहीं, बल्कि राजस्व को प्रति माह 10 हजार डॉलर तक बढ़ाना।
-
A - attainable, या प्राप्त करने योग्य, अर्थात, लक्ष्य वास्तविक, संभव, आपके पास मौजूद संसाधनों की मात्रा के साथ प्राप्त करने योग्य होना चाहिए;
-
R - प्रासंगिक (relevant), अर्थात् लक्ष्य को वर्तमान स्थिति के अनुरूप होना चाहिए और वैश्विक लक्ष्य के साथ संबंध रखना चाहिए, जिससे इसकी प्राप्ति में सहायता मिले, न कि बाधाएं। उदाहरण के लिए, मीडिया में बहुत सारी नयी मार्केटिंग कैंपेन शुरू करना रेलिवेंट नहीं माना जा सकता। लेकिन मीडिया में विज्ञापन के माध्यम से एक हजार नए उपयोगकर्ताओं, ग्राहकों या खरीदारों को आकर्षित करना एक वास्तविक और पूरी तरह से प्राप्त करने योग्य लक्ष्य है।
-
T - समयबद्ध (timely), अर्थात् काम समय सीमा के भीतर होना चाहिए। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि आपके लक्ष्य के लिए एक स्पष्ट रूप से निर्धारित समय सीमा हो, जो वास्तविक समय से जुड़ी हो। उदाहरण के लिए, महीने के अंत तक तीन महीनों की रिपोर्ट तैयार करना या छह महीने के भीतर KPI आंकड़ों में सुधार करना।
GROW दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में SMART का उपयोग करके, आप देखेंगे कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को नियंत्रित करना बहुत आसान हो जाएगा, और परिणाम आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
सिफारिश 2: दूसरे स्टेप में एक अतिरिक्त SCORE मॉडल का उपयोग करें
जानकारी इकठ्ठा करने और व्यवस्थित करने, कारण-और-प्रभाव संबंधों की पहचान करने और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में, SCORE तकनीक की ओर रुख करना बहुत उपयोगी होगा। यह संक्षिप्त रूप इस प्रकार है:
-
S - लक्षण (symptom), अर्थात् वर्तमान में क्या हो रहा है, बिज़नेस में चीजें सामान्य रूप से कैसे चल रही हैं, किसी बड़ी कंपनी के विशेष विभाग में स्थिति, व्यक्तिगत जीवन आदि की जानकारी।
-
C - cause, या कारण कि यह विशेष स्थिति क्यों उत्पन्न हुई, इसके पीछे क्या वजह थी;
-
O - परिणाम (outcome)। यह अपेक्षित परिणाम है, जिसे आप प्राप्त करना चाहते हैं, क्या और किस प्रकार चेंज होना चाहिए और यह किस तरह से होगा;
-
R - संसाधन (resources), स्थिति को ठीक करने के लिए क्या आवश्यक होगा, लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किन संसाधनों की आवश्यकता होगी;
-
E - effect, या उसके बाद क्या होगा, उदाहरण के लिए, लक्ष्य प्राप्त करने से कंपनी के आगे के विकास को क्या लाभ मिलेगा।
आम तौर पर, इस विधि का उपयोग जानकारी को तुरंत इकट्ठा करने और महत्वपूर्ण विवरणों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है। यह एक यूनिवर्सल तरीका है जो पूरी स्थिति को व्यवस्थित करने और यह समझने में मदद करता है कि वर्तमान स्थिति से कैसे बाहर निकला जाए, ताकि इच्छा अनुसार परिणाम प्राप्त किया जा सके।
सिफारिश 3: अलग-अलग ब्रेनस्टॉर्म तकनीकों का उपयोग करें
तीसरे स्टेप में घटनाओं और विकल्पों के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा संभावित विकल्प निर्धारित करने के लिए, अलग-अलग ब्रेनस्टॉर्मिंग तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए, "सिक्स हैट्स" तकनीक सबसे दिलचस्प तकनीकों में से एक मानी जाती है। इसे ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक एडवर्ड डे बोनो ने बनाया था।उन्होंने एक व्यक्ति के अपने आस-पास की वास्तविकता को समझने के तरीके की तुलना एक टोपी से की। यदि कोई हमेशा एक ही टोपी पहनता है (यानी अपने नजरिये को बदलने या किसी स्थिति, वस्तु, घटना को नए नजरिये से देखने का प्रयास नहीं करता है), तो सोच रूढ़िवादिता से भर जाएगी। रचनात्मकता और कुछ नया करने के लिए इसमें कोई जगह नहीं बचेगी। तब डी बोनो ने अपनी विधि प्रस्तावित की।
ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन आयोजित करने के लिए, मनोवैज्ञानिक की तकनीक के अनुसार 6 प्रतिभागियों की आवश्यकता होगी (बेशक, आपकी स्थिति के आधार पर यह संख्या कम भी हो सकती है)। प्रत्येक प्रतिभागी एक विशेष टोपी पहनेंगे। सफेद टोपी तथ्यों, वस्तुगतता और वास्तविक डेटा का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसी टोपी पहनने वाले व्यक्ति को यथासंभव निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए। लाल टोपी भावनाओं और संवेदनाओं का प्रतीक है। इस टोपी का धारक तथ्यों का अपने नजरिये से मूल्यांकन करता है, वह बताता है कि वे उसे क्या अनुभव कराते हैं और वह इसका सामना कैसे कर सकता है। काली टोपी आलोचना के लिए होती है, जो प्रस्तुत विचारों की सभी कमजोरियों को उजागर करती है। पीली टोपी उस टीम के सदस्य के लिए होती है, जो हमेशा सकारात्मक पहलुओं और लाभों की खोज करता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अलग-अलग विकल्पों के फायदों को उजागर करना उतना ही आवश्यक है, खासकर तब, जब उनकी संख्या बहुत कम हैं। हरी टोपी वाला प्रतिभागी रचनात्मकता और नवाचार के लिए जिम्मेदार होता है, वह वर्तमान स्थिति से निकलने के लिए सबसे अप्रत्याशित और कभी-कभी मुश्किल से लागू किए जाने वाले विचारों का प्रस्ताव करता है। और अंतिम टोपी नीली है। इसका धारक ब्रेनस्टॉर्मिंग के फाइनल स्टेप में शामिल होता है, ताकि विचारों को व्यवस्थित कर सके और परिणाम निर्धारित कर सके।
इस तकनीक का उपयोग एक साथ कई बार किया जा सकता है, ताकि प्रत्येक प्रतिभागी अलग-अलग टोपियों पर प्रयास करे और ब्रेनस्टॉर्म ज्यादा से ज्यादा उपयोगी और विविध जानकारी लाए। साथ ही, ऐसे प्रत्येक सेशन के बाद प्रोसेस में प्रत्येक भागीदार से फीडबैक एकत्र करना महत्वपूर्ण है।
सिफारिश : सही सवाल पूछना सीखें
GROW मॉडल का प्रभावी तरीके से उपयोग करने के लिए यही सबसे महत्वपूर्ण है। लक्ष्य प्राप्त करने की प्रक्रिया में, ऐसे सवाल पूछने की आवश्यकता होती है जो आपको वांछित परिणाम के करीब लाएँ। सही सवाल पहले से ही एक निश्चित दिशा में होने चाहिए और पहले पड़ाव पर जिन चीज़ों के कार्यान्वयन की योजना बनाई गयी है, उनकी तरफ जाने के कई कदमों में से एक होने चाहिए। केवल खुले सवाल पूछने की कोशिश करें, जिनका विस्तृत उत्तर दिया जा सके, न कि केवल "हाँ" या "नहीं" के उत्तर तक सिमट जाएं। अलग-अलग स्टेप्स में समान सवाल पूछे जा सकते हैं, उनके शब्द बदल सकते हैं, लेकिन उत्तर ज्यादा से ज्यादा विस्तृत और पूरा होना चाहिए।
यदि आप खुद एक ट्रेनर हैं और किसी ग्राहक के साथ बातचीत करते समय GROW मॉडल लागू करते हैं, तो एक्टिवली सुनने की तकनीक का उपयोग करें, जिस व्यक्ति के साथ आप काम कर रहे हैं उसे ज्यादा बात करने दें, जो कहा गया था उसके बारे में सोचें और विषय पर वापस लौटें। इस प्रक्रिया में खुद को पूरी तरह से डुबो देना और GROW तकनीक के साथ काम करते समय सचेत रूप से सवालों और जवाबों के निर्माण और सामान्य मनोवैज्ञानिक माहौल दोनों पर ध्यान देना आवश्यक है।
GROW मॉडल के फायदे और नुकसान
जैसा की हमने पहले ही बताया है, कि GROW एक मजबूत उपकरण है जो विशिष्ट परिणाम प्राप्त करने में मदद कर सकता है, और यह न केवल बिज़नेस और करियर में, बल्कि व्यक्तिगत जीवन, दूसरों के साथ संबंधों और आपके साथ संबंधों में भी प्रभावी हो सकता है। आइए इस मॉडल के अतिरिक्त लाभों पर ज्यादा विस्तार से चर्चा करते हैं:
-
GROW आपको बोझिल और मुश्किल कामों को छोटे, आसानी से प्रबंधनीय और जल्दी प्राप्त करने योग्य लक्ष्यों में विभाजित करने में मदद करता है।
-
GROW का उपयोग एक स्पष्ट कार्य योजना प्रदान करता है, जिसके आधार पर आप सबसे मुश्किल संघर्षों को भी हल कर सकते हैं और किसी भी कठिनाई पर काबू पा सकते हैं।
-
यह मॉडल सच्ची जरूरतों को महसूस करने और अनावश्यक चीजों को छोड़ने में मदद करता है।
हालाँकि, लगभग हर एक मेथड के अपने नुकसान भी होते हैं। उदाहरण के लिए, GROW के अत्यधिक औपचारिक और संरचित होने के कारण इसकी आलोचना की गई है। साधारण शब्दों में, अत्यधिक कठोर नियमों के कारण, यह मॉडल घटनाओं के सभी संभावित वैकल्पिक विकास, मानव कारक और अलग-अलग परिस्थितियों में मनोवैज्ञानिक तंत्र को ध्यान में नहीं रख सकता है।
निष्कर्ष
GROW मॉडल के सभी फायदों और नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह केवल निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी को एकत्रित और व्यवस्थित करने का एक उपकरण है। फिर भी, इस पद्धति का एक्टिवली उपयोग कोचों और बड़े कंपनियों के मैनेजर्स द्वारा विविध कार्यक्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। किसी भी स्थिति में, इसे अन्य पूरक GROW विधियों के साथ लागू करना फायदेमंद होगा - आप वर्तमान डेटा को व्यवस्थित करेंगे, एक उचित रणनीति बनाएंगे और समझेंगे कि आगे क्या कदम उठाने चाहिए ताकि आवश्यक परिणाम जल्द से जल्द प्राप्त किए जा सकें।