निर्णय लेने वाला व्यक्ति (डीएम)

निर्णय लेने वाला व्यक्ति (Decision Maker - DM), - किसी आर्गेनाइजेशन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है, जिसके पास खरीदारी, निवेश, रणनीतिक बदलावों और बिज़नेस के दूसरे सभी क्षेत्रों से संबंधित अंतिम निर्णय लेने की शक्ति और ज़िम्मेदारी होती है। आसान शब्दों में कहें तो, डीएम वह व्यक्ति होता है जो किसी विचार को "हां" या "न" कहता है, कॉन्ट्रैक्ट्स पर साइन करता है, कंपनी के विकास की प्रमुख दिशा तय करता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसके पास अंतिम निर्णय लेने और किसी विवाद की स्थिति में वीटो का अधिकार होता है। इसलिए, बातचीत के दौरान टीम में डीएम की पहचान करना और उसकी आवश्यकताओं को समझना सेल्स और मार्केटिंग में सफलता की चाबी है। क्योंकि यही वह व्यक्ति होता है, जिससे यह तय होता है कि डील होगी या नहीं। अतः आपके सभी प्रयास और तर्क वास्तव में डीएम को प्रभावित करने पर केंद्रित होने चाहिए।
B2B क्षेत्र में निर्णय लेने वाला व्यक्ति आमतौर पर विभाग का प्रमुख, निदेशक, किसी ब्राँच का प्रभारी या यहाँ तक कि कंपनी का जनरल डायरेक्टर होता है। वही खरीद रणनीति तय करता है, सभी लाभों और जोखिमों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करता है और कंपनी की समग्र रणनीति के आधार पर अंतिम निर्णय लेता है। वहीं B2C क्षेत्र में स्थिति थोड़ी अलग होती है: यहाँ निर्णय लेने वाला व्यक्ति परिवार का मुखिया, बजट के लिए उत्तरदायी व्यक्ति, या वह हो सकता है जिसका किसी प्रोडक्ट या सर्विस के चयन पर सबसे ज्यादा प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए, ऐसा व्यक्ति जो उस क्षेत्र में विशेषज्ञ राय रखता हो या जिसके लिए वह खरीदारी की जा रही हो (जैसे, परिवार मिलकर किसी बच्चे के लिए गिफ्ट चुनता है, और बच्चे की राय भी महत्वपूर्ण होती है)। इस तरह, डीएम सेल्स, मार्केटिंग और अन्य किसी भी क्षेत्र में हो सकते हैं।
यह समझना ज़रूरी है कि डीएम हमेशा वह नहीं होता जो सबसे पहले किसी प्रोडक्ट या सर्विस में रुचि दिखाता है। कभी-कभी यह व्यक्ति निर्णय लेने की प्रक्रिया के अंत में ही सामने आता है, उस समय जब अंतिम स्वीकृति देनी होती है। खरीद प्रक्रिया में शामिल अन्य लोगों - जैसे प्रारंभकर्ता, प्रभावशाली व्यक्ति और उपयोगकर्ता। पहली नज़र में यह बताना असंभव है कि वे एक दूसरे से कैसे अलग हैं, क्योंकि इंफ्लुएंसर या प्रारंभकर्ता किसी विशेष क्षण में डीएम भी हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात जो आपको जानना आवश्यक है, वह क्रिटेरिया और फैक्टर हैं, जो किसी व्यक्ति को किसी विशेष क्षण या अधिकतर समय के लिए डीएम बनाते हैं।
निर्णय लेने की परिक्रिया में डीएम का महत्व
यदि आप यह नहीं जानते कि किसी कंपनी में निर्णय लेने की ज़िम्मेदारी किसके पास है (यानी कि डीएम कौन है), तो आप अपना कीमती समय और सीमित संसाधन उन लोगों को मनाने में बर्बाद कर सकते हैं जिनके पास असल में कोई निर्णय शक्ति नहीं होती और जो अंतिम नतीजों को प्रभावित करने में सक्षम नहीं होते। कल्पना कीजिए एक ऐसी स्थिति की: आप लंबे समय तक किसी मिड-लेवल मैनेजर को अपने प्रोडक्ट के अपार फायदों के बारे में समझाते हैं, वह पूरी तरह से उत्साहित हो जाता है और तुरंत आपके समाधान को लागू करने के लिए तैयार हो जाता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि खरीद के लिए बजट तो फाइनेंस डायरेक्टर मंजूर करता है - जिसकी प्राथमिकताएँ और रणनीतिक लक्ष्य बिल्कुल अलग हैं, या जिसे आपका प्रोडक्ट पसंद ही नहीं आता। ऐसे में आपके सभी प्रयास, जो आपने उस मैनेजर पर केंद्रित किए थे, व्यर्थ हो जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर, खरीद की किसी सीरीज में डीएम कौन होता है? वह अलग-अलग सप्लायर्स से आए प्रस्तावों को रिव्यू करता है, उनकी विश्वसनीयता का मूल्यांकन करता है और दीर्घकालिक लक्ष्यों और कंपनी के बजट को ध्यान में रखते हुए कीमत और क्वालिटी के बीच सबसे सही संतुलन का चयन करता है। वहीं B2C क्षेत्र में, डीएम की भूमिका एक माँ निभा सकती है, जो बच्चे के लिए बेबी फ़ूड का चयन करते समय केवल विज्ञापन नहीं, बल्कि शिशु रोग विशेषज्ञ की सिफारिश, प्रोडक्ट की की संरचना, अन्य माता-पिताओं की राय और पोषण के प्रति अपनी समझ को भी ध्यान में रखती है।
यहाँ कुछ और उदाहरण दिए गए हैं, जो यह दिखाते हैं कि डीएम किस प्रकार प्रभाव डालता है और अलग-अलग स्थितियों में कौन यह भूमिका निभा सकता है:
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एक कंपनी CRM सिस्टम का चयन कर रही है। IT निदेशक अलग-अलग विकल्पों का टेस्ट करता है, सेल्स मैनेजर अपने पिछले अनुभव और आवश्यकताओं को साझा करते हैं, लेकिन अंततः कंपनी के लक्ष्यों, बजट और नई CRM से मिलने वाले संभावित लाभों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय जनरल डायरेक्टर द्वारा लिया जाता है।
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एक परिवार तय करता है कि छुट्टियाँ कहाँ बितानी हैं। बच्चे डिज़नीलैंड जाने का सपना देखते हैं, पत्नी सफेद रेत वाले किसी सुनहरे समुद्र तट की कल्पना करती है, और पति सभी प्रस्तावों को ध्यान से तौलता है, हर सदस्य की इच्छाओं को ध्यान में रखता है और अंत में ऐसा विकल्प चुनता है जो सभी को पसंद आए और पारिवारिक बजट पर भारी भी न पड़े (जैसे, वह थाईलैंड चुनता है, जहाँ मनोरंजन भी है और समुद्र भी)।
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एक कंस्ट्रक्शन कंपनी नए टूल्स में निवेश करने पर विचार कर रही है। इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ नई मशीनों की कार्यक्षमता और उत्पादकता का मूल्यांकन करते हैं, अर्थशास्त्री आर्थिक लाभ और पूंजी वसूली की अवधि की गणना करते हैं, लेकिन जनरल डायरेक्टर पेश सभी आंकड़ों के आधार पर आवश्यक वित्तीय संसाधन आवंटित करने का अंतिम निर्णय लेता है।
किसी कंपनी में डीएम की पहचान कैसे करें

किसी कंपनी में डीएम की पहचान करना कोई आसान काम नहीं है - इसके लिए विश्लेषणात्मक सोच और कभी-कभी जासूसी जैसी सूक्ष्म क्षमताओं की आवश्यकता होती है, खासकर अगर बात किसी बड़ी कंपनी की हो जहाँ निर्णय लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो। सीधे पूछना कि "यहाँ निर्णय कौन लेता है?" न केवल नैतिक दृष्टिकोण से अस्वीकार्य माना जाता है, बल्कि यह तरीका प्रभावी भी नहीं होता। अक्सर लोग यह स्वीकार करने में असहज महसूस करते हैं कि वे अंतिम निर्णयकर्ता नहीं हैं, या फिर कंपनी का कल्चर ही ऐसा होता है जहाँ किसी विशेष व्यक्ति को नाम से इंगित करना उचित नहीं समझा जाता। इसलिए बेहतर है कि आप इस प्रक्रिया में ज़्यादा सूक्ष्म और अप्रत्यक्ष तरीकों का इस्तेमाल करें। नीचे कुछ आजमाई हुई रणनीतियाँ दी गई हैं:
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ऑर्गेनाइजेशन के स्ट्रक्चर का गहन विश्लेषण करें। कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट, कर्मचारियों की LinkedIn प्रोफाइल और अन्य पब्लिक सोर्सेज का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, ताकि यह समझ सकें कि कौन-कौन सी प्रमुख भूमिकाएँ निभा रहा है, किन विभागों की खरीद प्रक्रिया में सीधी भागीदारी होती है (यदि आप इसी में रुचि रखते हैं), आदि। साथ ही, कंपनी के ब्रोशर, प्रोग्रामों की रूपरेखा आदि से भी जानकारी लें और यदि संभव हो तो ऐसे आयोजनों में खुद भाग लें।
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सेक्रेटरी से संपर्क स्थापित करें और विनम्रता से बातचीत करें। सेक्रेटरी एक बेहद महत्वपूर्ण सूचना का सोर्स होता है, जिसके पास अक्सर यह जानकारी होती है कि कंपनी में असली निर्णय कौन लेता है। उससे शिष्टता और सम्मान के साथ बात करें और यह जानने की कोशिश करें कि आम तौर पर यहाँ कार्य किसे सौंपे जाते हैं, किसकी सबसे ज्यादा बात मानी जाती है और वह व्यक्ति कौन है जो मुख्य बड़े केबिन में बैठता है।
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कंपनी के अलग-अलग स्तरों के कर्मचारियों से संपर्क बनाएं। ऐसे लोगों की तलाश करें जो यह जान सकें कि डीएम कौन है और निर्णय प्रक्रिया कैसे काम करती है। यह लोग मिड-लेवल मैनेजर, खरीद विभाग के कर्मचारी, तकनीकी विशेषज्ञ या यहाँ तक कि आम कर्मचारी भी हो सकते हैं, जिनके पास आंतरिक जानकारी हो सकती है।
वैसे! आप चाहें तो मौजूदा कर्मचारियों से नहीं, बल्कि पूर्व कर्मचारियों से संपर्क करने की कोशिश कर सकते हैं और उनसे सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं - क्योंकि अब वे उस कंपनी से जुड़े नहीं होते, इसलिए किसी आंतरिक नियम या दबाव से बंधे नहीं होते। ऐसे पूर्व कर्मचारियों को ढूँढने के लिए Facebook या LinkedIn का उपयोग करें।
ये सभी तरीके निश्चित रूप से पूर्व तैयारी की श्रेणी में आते हैं। लेकिन जब आप सीधे आमने-सामने मीटिंग कर रहे होते हैं, तब डीएम की पहचान कुछ संकेतों और सही सवालों के ज़रिए की जाती है, साथ ही उनके उत्तरों और प्रतिक्रियाओं पर बारीकी से नज़र रखते हुए। उदाहरण के लिए, यह देखें कि आपकी बात सुनते समय टीम के सदस्य बार-बार किसकी ओर देखते हैं, या जब कमरे में चुप्पी छा जाती है तो किसके चेहरे की ओर निगाहें जाती हैं। यह भी ध्यान दें कि किसकी राय सबसे ज़्यादा पूछी जाती है। बॉडी लैंग्वेज भी अहम संकेत देती है: डीएम अक्सर आत्मविश्वास से भरे होते हैं - उनके हाथ सामने मुड़ें होते हैं या उंगलियाँ आपस में जुड़ी होती हैं, उनकी आँखों में सीधा और स्थिर संपर्क होता है, और उनके बैठने का तरीका सीधी और स्थिर होता है। क्योंकि अंतिम निर्णय उन्हीं को लेना होता है, वे सबसे ध्यान से सुनते हैं लेकिन खुद नोट्स नहीं बनाते - यह काम उनके सहयोगी करते हैं।
सवालों को इस तरह से पूछा जा सकता है कि वे बिल्कुल सहज और गैर-आक्रामक लगें:
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"क्या इस खरीद के लिए आपका बजट पहले से स्वीकृत है, या अभी किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति की मंजूरी बाकी है? आप सब कुछ पहले ही फाइनल कर चुके हैं, है न?"
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"मुझे कॉन्ट्रैक्ट और अन्य दस्तावेज़ किसे भेजने होंगे? किसके हस्ताक्षर जरूरी होंगे?"
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"मैं प्रोसेस और नतीजों के बारे में किसे रिपोर्ट करूँ?"
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"क्या कोई और पक्ष या सदस्य हैं जिनकी स्वीकृति ज़रूरी है निर्णय लेने से पहले? क्या वे मीटिंग में मौजूद होंगे?"
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"आपकी कंपनी में आमतौर पर इस तरह के निर्णय कैसे लिए जाते हैं?"
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"क्या आप पहले किसी इसी तरह की साझेदारी का अनुभव साझा कर सकते हैं? उस समय निर्णय कितनी जल्दी और किस प्रक्रिया से लिया गया था?"
महत्वपूर्ण बात: यह अवश्य देखें कि मीटिंग में सबसे तीखे और रणनीतिक दृष्टिकोण वाले सवाल कौन पूछ रहा है - बहुत संभव है कि वही व्यक्ति डीएम हो।
डीएम की पहचान करते समय निम्नलिखित गलतियों से बचने की कोशिश करें:
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पहले मिले व्यक्ति को ही डीएम मान लेना। केवल पहले संपर्क में आए व्यक्ति के आधार पर जल्दबाज़ी में निष्कर्ष न निकालें। भले ही आपकी अंतरात्मा कुछ कह रही हो, पहले कुछ जरूरी सवाल पूछकर इसके डीएम होने की पुष्टि करें।
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ऑर्गेनाइजेशन के स्ट्रक्चर की अनदेखी और हायरार्की के महत्व को कम करके आँकना। यदि आप किसी बहुत बड़ी या पारंपरिक सोच वाली कंपनी से डील कर रहे हैं, तो वहाँ डीएम भूमिका आमतौर पर स्पष्ट रूप से परिभाषित होती है - अक्सर यह कोई डायरेक्टर या वरिष्ठ अधिकारी ही होता है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि ऐसे मामलों में उस व्यक्ति तक पहुँच पाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए आपको बीच के किसी व्यक्ति से काम लेना पड़ सकता है।
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इन्फ्लुएंसर की भूमिका को ज़रूरत से ज़्यादा और उपयोगकर्ताओं की भूमिका को कम आँकना। इन्फ्लुएंसर प्रक्रिया पर असर डाल सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय लेने का अधिकार उसके पास नहीं होता। जबकि उपयोगकर्ता, बदले में, किसी प्रोडक्ट या सर्विस को चुनने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। कई ब्रांड अपने ग्राहकों की राय को बहुत महत्व देते हैं, इसलिए कभी-कभी आपके प्रयासों का केंद्र वही लोग होने चाहिए (जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभाव डालना)।
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पक्षपात और व्यक्तिगत पसंद-नापसंद से प्रभावित होना। डीएम की पहचान करते समय आपकी व्यक्तिगत पसंद या फर्स्ट इम्प्रेशन आपको भ्रमित कर सकता है। इसलिए पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाएँ और केवल तथ्यों के आधार पर निर्णय लें।
डीएम तक पहुंच: रणनीतियाँ और तकनीकें

B2B में डीएम तक पहुँच कैसे बनाये? यह आसान काम नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से संभव है। इसके लिए धैर्य, लगातार प्रयास और समझदारी से काम लेना ज़रूरी होता है। B2B सेक्टर में, जहाँ अक्सर कई स्तरों वाली बड़ी संस्थाओं के साथ काम करना पड़ता है, वहां सबसे पहले डीएम की पहचान करना जरूरी होता है, और यह पहले बताए गए अप्रत्यक्ष तरीकों से करना सबसे बेहतर होता है। जैसा कि हमने पहले कहा, शुरुआत कंपनी के "गेटकीपर" से करें - यानी सेक्रेटरी और हेल्पर्स से, जो डीएम तक पहुँच को नियंत्रित करते हैं और एक तरह से फ़िल्टर का काम करते हैं। आपका लक्ष्य उनके साथ विश्वासपूर्ण और सम्मानजनक संबंध बनाना है, उन्हें मूल्य प्रदान करना और सच्ची रुचि दिखाना। उदाहरण के लिए, आप उन्हें उपयोगी जानकारी दे सकते हैं, किसी विशेष वेबिनार का निमंत्रण भेज सकते हैं, उनकी कंपनी के लिए अपनी सेवाओं पर विशेष छूट दे सकते हैं, या फिर बस उनकी मदद के लिए हार्दिक धन्यवाद व्यक्त कर सकते हैं।
यहाँ एक तरीका बताया गया है जिससे सेक्रेटरी को बाईपास किया जा सकता है। इसे पूरी तरह ईमानदार नहीं माना जाता, लेकिन यह अक्सर काम करता है:
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कंपनी के बारे में जरूरी जानकारी इकट्ठा करें। वे कौन हैं, क्या करते हैं, कंपनी का शेड्यूल क्या है, सेक्रेटरी का नाम क्या है और निर्णय लेने वाले व्यक्ति (जिसे आप डीएम समझते हैं) का नाम क्या है। ये सारी जानकारी सेक्रेटरी से आत्मविश्वास से बात करने में मदद करेगी।
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सुबह या दोपहर के भोजन के बाद कॉल करें। सेक्रेटरी के साथ विनम्र और दोस्ताना संपर्क बनाना बहुत ज़रूरी है, इसलिए उनके नाम को जानना अच्छा रहेगा। अगर नाम पता न हो तो पूछें कि आप किससे बात कर रहे हैं। फिर अपना परिचय दें और कुछ वाक्यों में बताएं कि आप कौन हैं और क्यों कॉल कर रहे हैं। बातचीत में कम से कम एक बार सेक्रेटरी का नाम लेकर बात करें।
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अब सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा! आपको सेक्रेटरी से डीएम से बात करवाने के लिए रिक्वेस्ट करनी होगा, इसके लिए आपको थोड़ी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर या झूठ बोलना पड़ सकता है, जैसे:
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"मैंने [डीएम का नाम] से वादा किया था कि मैं उन्हें सही कीमत बताकर वापस कॉल करूंगा। कृपया मुझे उनसे जोड़ दीजिए।"
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"क्या [डीएम का नाम] मौजूद हैं? बहुत अच्छा, कृपया मेरी उनसे बात करवा दीजिये। मैंने कल उन्हें फिर से कॉल करने का वादा किया था, लेकिन कुछ चीजें क्लियर करने में थोड़ा ज़्यादा समय लग गया।"
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"[डीएम का नाम] ने कहा था कि जैसे ही यह जानकारी मिले, मैं उनसे तुरंत संपर्क करूँ। कृपया मेरा तुरंत उनसे संपर्क करवाएं, यह काफी जरूरी है।"
यदि सेक्रेटरी बात करवाने से इनकार कर दे, तो आप उनसे किसी दूसरे डिपार्टमेंट से कनेक्ट करने की रिक्वेस्ट करें और वहाँ जाकर वही तरीका आजमाएं, जहां कोई ऐसा व्यक्ति हो जो आपको सीधे डीएम से जोड़ सके। आप ऑफिस के बंद होने के बाद भी कॉल कर सकते हैं, जब संभावना होती है कि बॉस अभी भी ऑफिस में हो, लेकिन सेक्रेटरी जा चुका हो। ऐसा कॉल ऑफिस के आधिकारिक समय समाप्त होने के आधे घंटे के अंदर करना चाहिए। हालाँकि, इन सभी तरीकों में आपको नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने का खतरा रहता है, क्योंकि आप डीएम तक पहुँचने के लिए ईमानदार तरीका नहीं अपना रहे हैं।
यदि आप ईमानदार तरीका अपनाना चाहते हैं और जानते हैं कि इससे डीएम तक पहुँचने के मौके कम हो सकते हैं, तो आप सीधे कह सकते हैं कि आपको एक महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय लेने वाले से बात करनी है, क्योंकि इस डील को मंजूरी केवल वही दे सकता है। आप किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी का नाम भी ले सकते हैं, जिसे सेक्रेटरी शायद नहीं जानता, और कह सकते हैं कि आप उस व्यक्ति की तरफ़ से कॉल कर रहे हैं - इस तरह आप अपनी बात को महत्व दे सकते हैं।
कोल्ड कॉल के जरिए डीएम से संपर्क करना और ईमेल भेजना भी डीएम तक पहुँचने के प्रभावी तरीके हैं, लेकिन इन्हें समझदारी से इस्तेमाल करना जरूरी है। आपका प्रस्ताव ज्यादा से ज्यादा व्यक्तिगत, प्रासंगिक और डीएम की ज़रूरतों व रुचियों के अनुरूप होना चाहिए। बिना फालतू बातें किए, एक संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली प्रेजेंटेशन तैयार करें, जिसमें आपके प्रोडक्ट या सर्विस के मूल्य और कंपनी को मिलने वाले लाभ स्पष्ट हों। इसके अलावा, आप सोशल मीडिया का भी उपयोग कर सकते हैं ताकि डीएम से जुड़ सकें, साथ ही कॉन्फ्रेंस और इवेंट्स में भाग लेकर सीधे डीएम से मिलना भी संभव है। ऐसे मौके पर आप उनके साथ व्यक्तिगत रूप से संपर्क बना सकते हैं, जिससे विश्वास स्थापित होता है और डील बनने की संभावना बढ़ जाती है।
वहीं, B2C क्षेत्र में डीएम तक पहुँचना कहीं आसान होता है - बस पहले बताए गए तरीकों से डीएम की पहचान करें और बातचीत में मुख्य रूप से उन्हीं से बात करें। लेकिन ध्यान रखें कि कभी-कभी डीएम एक से ज्यादा हो सकते हैं या फिर जिसको आपने डीएम समझा वह डीएम न हो। उदाहरण के लिए, अगर पति-पत्नी ज्वेलरी शॉप में गए हैं ताकि पति पत्नी को कोई ज्वेलरी गिफ्ट कर सके, तो असली डीएम पत्नी होती है, न कि पति, भले ही पति भुगतान कर रहा हो।
डीएम और मार्केटिंग: निर्णयों को कैसे प्रभावित करें
सबसे पहले बात करते हैं कंटेंट मार्केटिंग की। यह एक पावरफुल टूल है जो डीएम पर प्रभाव डालने, उनका विश्वास जीतने और उनके फैसलों को मुख्य रूप से प्रभावित करने में मदद करता है। कीमती, उपयोगी, विशेषज्ञता से भरपूर और प्रासंगिक कंटेंट बनाकर, और इसे प्रचारित और वितरित करके, आप अपनी फील्ड में एक भरोसेमंद और मान्य स्रोत के रूप में खुद को स्थापित कर सकते हैं और आसानी से डीएम को आकर्षित कर सकते हैं।
कैसे करें यह काम:
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अपने संभावित डीएम की समस्याओं को पहचानें। इसके लिए गहरी रिसर्च करें ताकि यह पता चल सके कि डीएम को किन समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उनके काम में कौन-कौन सी मुश्किलें आती हैं, जिन्हें आप हल करने में उनकी मदद कर सकते हैं।
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उन समस्याओं के समाधान के लिए अलग-अलग उपयोगी कंटेंट फॉर्मेट तैयार करें। आर्टिकल, केस स्टडी, विश्लेषणात्मक रिपोर्ट, विशेषज्ञ रिव्यु, वेबिनार, पॉडकास्ट, इन्फोग्राफिक्स और दूसरे ऐसे फॉर्मेट विकसित करें जो डीएम के लिए रोचक, उपयोगी और प्रासंगिक हों, साथ ही उनकी जानकारी ग्रहण करने के स्टाइल के अनुसार हों।
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उन कम्युनिकेशन मेथड का चयन करें जिनका उपयोग डीएम करते हैं और अपने तैयार किए कंटेंट को वहीं वितरित करें। बेहतर सुरक्षा के लिए, आप कंटेंट को सभी संभव प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित कर सकते हैं, लेकिन खास ध्यान उस चैनल पर दें जिसका डीएम सबसे ज्यादा उपयोग करता है और जिसके माध्यम से वह अपनी राय बनाता है। उदाहरण के लिए, इंडस्ट्री से संबंधित पब्लिकेशन या विशिष्ट फोरमों का उपयोग करें। आप पहले डीएम को सोशल मीडिया पर खोज सकते हैं और उनकी प्रोफाइल से पता लगा सकते हैं कि वे किन कम्युनिटीज को फॉलो करते हैं, फिर वहां अपना कंटेंट भेज सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, यह सुनिश्चित करें कि उस कंटेंट में आपका नाम विशेषज्ञ के रूप में या आपकी कंपनी का नाम जरूर शामिल हो!
कंटेंट मार्केटिंग का इस्तेमाल डीएम को "वार्म-अप" करने के लिए और संपर्क स्थापित करने के टूल के रूप में किया जा सकता है। लेकिन इसके बाद आपको और भी ज्यादा प्रयास करने होने, यानी कि डीएम के साथ अपनी बातचीत को व्यक्तिगत बनाना होगा ताकि यह ज्यादा प्रभावी और प्रासंगिक हो सके। उनकी रुचि, प्रोफेशनल अनुभव, इंडस्ट्री के एक्सपर्ट, बातचीत का स्टाइल और पसंद को समझें, और फिर उन्हें और भी ज्यादा सटीक कंटेंट या तैयार समाधान प्रदान करें।
यहाँ कुछ और चैनल हैं जिनके जरिए आप डीएम के साथ जुड़ सकते हैं:
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LinkedIn का सक्रिय रूप से उपयोग करें - आर्टिकल प्रकाशित करें, चर्चाओं में भाग लें, उपयोगी संपर्क स्थापित करें और अपनी विशेषज्ञता प्रदर्शित करें।
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वेबिनार और ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस आयोजित करें, जो प्रासंगिक और रोचक विषयों पर हों। खुद विशेषज्ञों और अपने डीएम को चर्चा में भाग लेने और अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित करें।
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सम्मेलनों में भाग लें, चर्चाओं में एक्टिव रहें, अपने प्रोडक्टों और सर्विस का प्रदर्शन करें, डीएम के साथ संपर्क स्थापित करें और अपनी विशेषज्ञता दिखाएँ।
डीएम के साथ काम करते समय होने वाली गलतियाँ

ज्यादातर गलतियाँ जो मैनेजर को डीएम तक पहुँचने से रोकती हैं, वे स्पष्ट रणनीति की कमी, ग्राहक की वर्तमान आवश्यकताओं को न समझना, गलत पोजिशनिंग और ज़बरदस्ती करने के कारण होती हैं, जिसे नए लोग अक्सर लक्ष्य निर्धारण समझ लेते हैं। लेकिन सबसे खतरनाक और आम गलतियाँ बातचीत में होती हैं, यानी कि आप डीएम से कैसे बात करते हैं और बातचीत कैसे बनाते हैं। उदाहरण के लिए:
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बहुत जटिल और तकनीकी भाषा का उपयोग करना। ऐसी विशिष्ट तकनीकी शब्दावली का प्रयोग न करें जिसे डीएम समझ न पाए, क्योंकि हो सकता है कि उनके पास तकनीकी ज्ञान न हो और वे केवल पैसे या बजट को मैनेज करते हों, न कि उस टूल को जो आप बेच रहे हैं।
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प्रोडक्ट की विशेषताओं पर ज़ोर देना, न कि ग्राहक को मिलने वाले लाभ पर। डीएम के लिए असल में यह जानना जरूरी नहीं है, कि चीजें कैसे काम करती है, बल्कि यह ज़रूरी है कि इससे उन्हें क्या परिणाम मिलेगा। इसलिए ध्यान दें कि कंपनी को आपके साथ साझेदारी से क्या फायदा होगा, उनकी बिक्री कैसे बढ़ेगी, ग्राहक निष्ठा कैसे बढ़ेगी इत्यादि।
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स्पष्टता का अभाव। आंकड़ों, केस स्टडीज़, असली उदाहरणों और (यदि संभव हो तो) विज़ुअल का उपयोग करें। जैसा कि कहा जाता है, एक बार देखना सौ बार सुनने से बेहतर है। यदि कोई व्यक्ति किसी दुकान में डिवाइस चुन रहा है, तो कम से कम वीडियो के ज़रिए दिखाएँ कि वह कैसे काम करता है-यह बहुत आसान है।
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सुनने और सही सवाल पूछने में असमर्थता। डीएम को ध्यान से सुनें, ज्यादातर खुले सवाल पूछें और उनकी राय तथा ज़रूरतों में सच्ची रुचि दिखाएँ।अपनी रणनीति या अपने उत्पादों को बीच में ही बदलने से न हिचकिचाएँ। यदि आपको लगे कि डीएम के लिए कोई दूसरा विकल्प बेहतर होगा, तो इसके बारे में बताएं।
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गैर-मौखिक संकेतों की अनदेखी और सहानुभूति का अभाव। डीएम के चेहरे के भाव, हाव-भाव और आवाज़ के सुर जैसे गैर-मौखिक संकेतों पर ध्यान दें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। लक्ष्य निर्धारण और ज़बरदस्ती के बीच की सीमा का ध्यान रखें। समझ लें कि कुछ लोगों के साथ काम करना संभव नहीं है, चाहे आप कितना भी प्रयास करें। और कभी भी आक्रामक बिक्री शैली अपनाने की गलती न करें!
महत्वपूर्ण! साथ ही उन गलतियों को भी याद रखें जो डीएम से बातचीत के दौरान नहीं, बल्कि बाद में आपके द्वारा हो सकती हैं और जो आपकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकती हैं। उदाहरण के लिए, हमेशा अपने वादों का पालन करें, यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि उत्पाद की विशेषताएं या नतीजे ऐसे ही होंगे तो उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर पेश न करें, और फीडबैक जरूर इकट्ठा करें।
ये ऊपर बताई गई गलतियाँ व्यवहार में इस तरह दिखती हैं:
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सेल्स मैनेजर हर दिन डीएम को कॉल करता रहा, लगातार ईमेल और मैसेज भेजता रहा। डीएम परेशान हो गया, उसे लगा कि उसे परेशान किया जा रहा है, और उसने सेल्स मैनेजर को ब्लॉक कर दिया।
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कंपनी ने डीएम को ऐसा प्रोडक्ट पेश किया जो उसकी वर्तमान आवश्यकताओं और रणनीतिक लक्ष्यों से बिल्कुल मेल नहीं खाता था। डीएम ने प्रस्ताव ठुकरा दिया, और कंपनी ने कुछ नया प्रस्तावित करने की कोशिश नहीं की, यहां तक कि यह भी नहीं समझा कि उसे वास्तव में कोई अलग सर्विस चाहिए थी, जो कंपनी के पास पहले से मौजूद थी।
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बातचीत के दौरान केवल सेल्स मैनेजर ही बोलता रहा, उसने बीच-बीच में विराम नहीं दिया, डीएम से कोई सवाल नहीं पूछा और एक तरह से लेक्चर देता रहा। डीएम ने अपनी रुचि खो दी और कहा कि वह सोचकर बाद में बताएगा, जो कि उसने कभी नहीं किया।
निष्कर्ष
डीएम के साथ काम करना सिर्फ़ बिक्री नहीं है। यह बातचीत करने का एक स्टाइल होता है जिसमें धैर्य, लगन, पेशेवराना रवैया, सहानुभूति और ग्राहक की ज़रूरतों की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। डीएम को पहचानने की क्षमता, उनके साथ भरोसेमंद और दीर्घकालिक संबंध बनाने, मूल्यवान समाधान पेश करने और उनके निर्णयों पर प्रभाव डालने की कला- सफल बिक्री और आपके बिज़नेस के लगातार विकास की चाबी हैं। कोशिश करें कि आप डीएम को उसी तरह समझें जैसे आप किसी करीबी या पुराने परिचित को समझते हैं, जैसे कि: उनकी समस्याएं, ज़रूरतें, प्राथमिकताएं और रणनीतिक लक्ष्य। निर्णय लेने वाले भी इंसान होते हैं, जैसे आप। उन्हें सिर्फ़ चलते-फिरते पर्स या मशीन की तरह न देखें-एक इंसान किसी भी मामले में सबसे ज़्यादा आपकी सच्चाई और उनकी समस्याओं को हल करने में आपकी दिलचस्पी को महत्व देता है