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ग्राहक की जरूरतें

ग्राहकों की क्या जरूरतें हैं

ग्राहकों की क्या जरूरतें हैं

डिमांड एक ऐसी अवस्था या भावना है, जिसमें व्यक्ति को किसी विशेष वस्तु या प्रक्रिया की तत्काल ज़रूरत महसूस होती है। यह आवश्यकताओं की एक ऐसी उपस्थिति है, जो मानव की गतिविधियों को जारी रखती है, और हमें अपने आपको सुधारने और विकास करने में मदद करती है। इसलिए, कहा जा सकता है कि आवश्यकता एक मकसद है, जो लोगों को कुछ कार्यों के लिए प्रोत्साहित करती है। कभी-कभी ग्राहक की जरूरतों को पूरा करना न केवल सम्पूर्ण जीवन के लिए, बल्कि सर्वाइवल के लिए भी ज़रूरी होता है। आवश्यकताओं और इच्छाओं के बीच यही मुख्य अंतर है।

इच्छाओं को किसी चीज़ की सचेत इच्छा के रूप में परिभाषित किया गया है, हालांकि, इनको नजरअंदाज भी किया जा सकता है। अर्थात् किसी व्यक्ति का जीवन या भलाई इस इच्छा को पूरा करने पर निर्भर नहीं करती है। आप निम्नलिखित इंडिकेशन के जरिए यह समझ सकते हैं, कि आप किसी जरुरत का अनुभव कर रहे हैं, इच्छा का नहीं:

  • एक व्यक्ति अधिक से अधिक असुविधा का अनुभव करेगा क्योंकि उसकी आवश्यकता असंतुष्ट रहेगी। इसकी संतुष्टि के बाद ही बेचैनी दूर होगी;

  • यदि किसी आवश्यकता को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है, तो अवचेतन के स्तर पर एक व्यक्ति इसे संतुष्ट करने के लिए किसी भी, यहां तक ​​​​कि तर्कहीन, अवसरों की तलाश करना भी शुरू कर देता है;

  • आवश्यकताएँ व्यक्ति के मूड को नियंत्रित करती हैं, उसे शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर बुरा महसूस कराती हैं।

साथ ही, एक व्यक्ति एक साथ कई आवश्यकताओं का अनुभव कर सकता है, लेकिन इसके बावजूद इन सभी आवश्यकताओं के महत्व एक दूसरे से अलग-अलग होते हैं और हमेशा एक-दूसरे से जुड़े भी नहीं होते हैं।

बेशक, मार्केटिंग में, ग्राहक की आवश्यकताओं की परिभाषा का एक ज्यादा बारीक़ अर्थ है: यह कोई भी उत्पाद या सेवा है जिसकी एक संभावित ग्राहक को आवश्यकता होती है और जिसकी खरीद से ग्राहक संतुष्टि प्राप्त करना चाहता है। यदि आप सोच रहे हैं कि हमें ग्राहकों की ज़रूरतों की पहचान क्यों करनी चाहिए, तो इसका ज़बाव यह है, कि ज़रूरतों को समझने से आपको यह करने में मदद मिलेगी:

  • प्रमोशन रणनीति में सुधार करना और क्लाइंट के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रासंगिक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना;

  • टार्गेटेड ऑडियंस के सटीक ज्ञान की मदद से कस्टमर बेस को बढ़ाना;

  • बिक्री और ग्राहक की लॉयल्टी को बढ़ाना;

  • ऑडियंस के साथ भरोसेमंद और दीर्घकालिक संबंध सुनिश्चित करना;

  • और आखिरी में मुनाफा बढ़ाना, क्योंकि हर कोई एक ऐसा प्रोडक्ट चाहता है, जो वास्तविक समस्याओं का समाधान करता है और स्थिति को बेहतर करता है।

और इसीलिए बिज़नेस का विकास करने और बिक्री बढ़ाने के लिए ऑडियंस की जरूरतों को जानना बहुत जरूरी है। लेकिन सबसे पहले, बिज़नेस को यह पता लगाने की जरुरत होती है, कि किसी प्रोडक्ट को खरीदने की इच्छा के पीछे क्या छिपा है, यानी उसके ग्राहकों की वास्तविक जरूरतें क्या है। आखिरकार वे अलग-अलग प्राकर की होती हैं!

ग्राहक की आवश्यकताओं के प्रकार

ग्राहक की आवश्यकताओं के प्रकार

मानवीय आवश्यकताओं और संभावित ग्राहकों की आवश्यकताओं को कई अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। इनमें सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय - अब्राहम मास्लो का सिद्धांत है।

पिछली शताब्दी के 40 के दशक में, अमेरिकी मनोवैज्ञानिक मास्लो ने "मानव प्रेरणा का सिद्धांत" नामक आर्टिकल पब्लिश किया और सुझाव दिया कि मानव व्यवहार उसकी आवश्यकताओं के क्रम से निर्धारित होता है। मास्लो की अवधारणा के अनुसार, ऐसी आवश्यकताओं के पांच लेवल होते हैं, जो एक के बाद एक होते हैं:

  1. शारीरिक आवश्यकता। यह आवश्यकताओं का सबसे पहला लेवल है, जिसमें मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक हवा, नींद, भोजन और पानी शामिल है। मास्लो ने इन आवश्यकताओं को बुनियादी माना, क्योंकि इन सबके बिना कोई व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता। इसके अलावा, जब तक शारीरिक ज़रूरतें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक संभवतः व्यक्ति की दूसरी ज़रूरतें भी पूरी नहीं होंगी।

  2. सुरक्षा आवश्यकता, यानी बाहरी खतरों से खुद को बचाने की जरूरत। दूसरे शब्दों में, जब कोई व्यक्ति अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए खुद को आवश्यक परिस्थितियां प्रदान करता है, अपने जीवन की स्थिरता और पूर्वानुमेयता सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। यह न केवल प्राकृतिक खतरों से सुरक्षा हो सकती है, बल्कि सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा भी हो सकती है।

  3. प्यार एवं भागीदारी की आवश्यकता। इन आवश्यकताओं को सामाजिक आवश्यकताएं भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें दूसरे लोगों के साथ बातचीत, दोस्ती, परिवार और पारिवारिक संबंध बनाना शामिल है। अर्थात्, जैसे ही कोई व्यक्ति अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, वह दूसरे लोगों पर ध्यान देने लगता है, उनके साथ संबंध बनाना, प्यार महसूस करना, विश्वास महसूस करना और किसी सोशल ग्रुप से जुड़ा होना चाहता है।

  4. सम्मान की आवश्यकता। अर्थात् एक व्यक्ति को सम्पूर्ण समाज द्वारा मान्यता दिये जाने की आवश्यकता। हालाँकि, यह पर्याप्त नहीं है, क्योंकि एक व्यक्ति न केवल दूसरों की नज़र में, बल्कि अपनी नज़र में भी मशहूर और महत्वपूर्ण महसूस करना चाहता है। इसलिए, आवश्यकताओं के इस स्तर पर आत्म-सम्मान, खुद को स्वीकार करना और खुद का व्यक्तिगत मूल्य समझना भी शामिल है।

  5. आत्म-अभिव्यक्ति की आवश्यकता। यह आवश्यकताओं का उच्चतम स्तर है, जिसका तात्पर्य सबसे उत्कर्ष्ट और आध्यात्मिक इच्छाओं से है, जैसे आत्म-वास्तवीकरण, अपनी क्षमता और प्रतिभा का विकास, जीवन के अर्थ की खोज।

हालाँकि, मास्लो के सिद्धांत की स्थापना के बाद से ही इसकी आलोचना शुरू हो चुकी थी। यह अवधारणा के मुख्य विचार से संबंधित है, जोकि कुछ इस प्रकार है: यदि कोई व्यक्ति अच्छे भोजन और रहने के लिए आरामदायक जगह की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होता है, तो वह अपनी रचनात्मक क्षमता का एहसास करने की कोशिश नहीं करेगा। लेकिन इस कथन से काफी सारे अपवाद जुड़े हुए हैं, इसलिए इसे सत्य नहीं माना जा सकता। इतिहास में ऐसे कई सारे उदाहरण हैं, जब असंतुष्ट बुनियादी ज़रूरतें ही किसी व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने और समाज में अपना महत्व साबित करने के लिए प्रेरित करती थीं। साथ ही, हर कोई व्यक्ति जिसकी बुनयादी जरूरतें पूरी हो चूकी हैं, समाज में मान्यता प्राप्त करना और परिवार बनाना नहीं चाहता। इसके अलावा, मास्लो की अवधारणा सांस्कृतिक मतभेदों को नजरअंदाज करती है, ज्यादातर लोगों को सुव्यवस्थित करने और समान मानकों पर लाने की कोशिश करती है। लेकिन मनोवैज्ञानिक के बचाव में, यह कहा जाना चाहिए कि उन्होंने किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशेषताओं या बाहरी परिस्थितियों के आधार पर अपवादों की अनुमति भी दी।

वर्तमान समय में कई विशेषज्ञ मास्लो के आवश्यकताओं के पिरामिड की तुलना में ज्यादा आधुनिक और यूनिवर्सल वर्गीकरण का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, बिक्री के नजरिये से, निम्नलिखित आवश्यकताओं को निर्धारित किया गया है:

  • सुरक्षा की आवश्यकता,

  • आराम की आवश्यकता

  • विश्वसनीयता की आवश्यकता

  • मान्यता की आवश्यकता

  • नवीनताओं की आवश्यकता।

इस वर्गीकरण की पहली तीन आवश्यकताओं को तर्कसंगत या कार्यात्मक कहा जा सकता है, अर्थात् वे जो किसी व्यक्ति को उसके अस्तित्व, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का रखरखाव प्रदान करती हैं। इस मामले में, आवश्यकता को ज़्यादा से ज़्यादा जल्दी और सटीक रूप से संतुष्ट करने के लिए खरीदे गए प्रोडक्ट की तकनीकी विशेषताएं और इसकी कार्यक्षमता महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, ठंड के मौसम में गर्म सर्दियों की जैकेट खरीदना, कार की मरम्मत करना, हैल्थी डाइट के लिए इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट, क्वालिटी की दवाइयां इत्यादि।

आखिरी दो आवश्यकताएं भावनात्मक मानी जाती हैं। वे उच्च, आध्यात्मिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं, क्योंकि वे किसी व्यक्ति के दुनिया के प्रति दृष्टिकोण, उसकी सामाजिक स्थिति, इनकम के लेवल को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, स्विस कंपनी Rolex की घड़ियाँ या Apple ब्रांड का लेटेस्ट iPhone. अक्सर, इतनी महंगी खरीदारी के बाद लोग ज्यादा आत्मविश्वासी और आधिकारिक महसूस करते हैं।

पिछले वर्गीकरण के समान एक और वर्गीकरण है:

  • आंतरिक आवश्यकताएं। वे ग्राहकों के व्यक्तिगत अनुभवों, जटिलताओं और डर से जुडी हुई हैं। उदाहरण के लिए, कई लड़कियां खुद को खुश करने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदती हैं और उनका उपयोग करती हैं।

  • बाहरी आवश्यकताएं जो समाज में मान्यता प्राप्त करने, अपनी योग्यता के आधार पर पहचाने जाने और किसी ग्रुप में शामिल होने की इच्छा पर आधारित हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स की खरीदारी का उदहारण बाहरी आवश्यकताओं की स्थिति में भी उपयोगी है, क्योंकि कई महिलाऐं बहार जाकर सुन्दर लगने के लिए भी मेकअप लगा सकती हैं।

आवश्यकताओं को निम्नलिखित प्रकार से भी वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • छिपी हुई आवश्यकताएं। इस मामले में, संभावित ग्राहक अपनी आवश्यकता को जनता है, हालांकि, जब तक वह ध्यान देने योग्य कमी या स्पष्ट असुविधा का अनुभव नहीं करता है, तब तक वह इस आवश्यकता को संतुष्ट नहीं करेगा।

  • स्पष्ट आवश्यकताएं। ऐसी आवश्यकताएं। जो ग्राहक को स्पष्ट रूप से परेशान करती हैं, इसलिए सबसे पहले उन्हीं को पूरा करना होगा। उदाहरण के लिए, आवश्यक घरेलू उपकरणों का खराब हो जाना - जैसे, रेफ्रिजरेटर।

इसके अलावा, संबंधित और गैर-संबंधित आवश्यकताओं को भी पहचाना जाता हैं। सम्बंधित आवश्यकताएँ ज़रूरतों की एक सीरीज के रूप में परिभाषित की जाती हैं, जब एक आवश्यकता के संतुष्ट होने पर एक नयी आवश्यकता पैदा होती है। इसका मतलब है, कि ऐसी आवश्यकताएँ अन्य प्रोडक्टों की खरीद के संबंध में दिखाई देती हैं। उदाहरण के लिए, नया स्मार्टफोन खरीदते समय, ग्राहक चार्जर, कवर, हेडफोन खरीदना चाहेगा। और गैर-संबंधित आवश्यकताएं एक सिंगल प्रोडक्ट है जिसको खरीदने के बार किसी अतिरिक्त खरीद की आवश्यकता नहीं होती है।

ग्राहक की जरूरतों का निर्धारण कैसे करें

ग्राहक की जरूरतों का निर्धारण कैसे करें

संभावित ग्राहकों की आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए, निम्नलिखित विधियाँ होती हैं जिनको संयोजित करना सबसे अच्छा है:

  1. फ़ोकस-ग्रुप्स

यह गुणात्मक अनुसंधान विधियों का नाम है, जिसमें किसी विशेष प्रोडक्ट या संपूर्ण ब्रांड के टार्गेटेड ऑडियंस के प्रतिनिधियों के साथ ग्रुप इंटरव्यूज शामिल होते हैं। यह विधि किसी भी विशेष प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ राय प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छी है। इंटरव्यू के लिए, टार्गेटेड ऑडियंस के वर्णन से सबसे अधिक मेल खाने वाले लोगों को चुनना चाहिए। तदनुसार, उनकी समान रुचियां, शौक और कुछ अन्य मानदंड होने चाहिए, जैसे कि उम्र, सामाजिक स्थिति, इनकम का लेवल। यह भी महत्वपूर्ण है, कि चर्चा में भाग लेने वालों में से कोई भी एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता हो, क्योंकि इससे नतीजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

  1. कस्टमर सर्वे

इस मेथड का मुख्य फायदा ग्राहक से सीधा संपर्क होना है। सवाल पूछकर और उपभोक्ता की प्रतिक्रियाओं पर निगरानी रखकर, आप उनकी ज़रूरत की हर चीज़ का पता लगा सकते हैं, साथ ही उनके डर, संदेह और पीड़ा का भी पता लगा सकते हैं। इसके अलावा, सर्वे अलग-अलग फॉर्मेट में आयोजित किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यह संभावित खरीदारों और नियमित ग्राहकों के साथ फोन पर बात करना हो सकता है।

इसके अलावा सोशल मीडिया और ईमेल पर सर्वे, वोटिंग और टेस्ट भी होते हैं। किसी भी परिस्थिति में, इनमें से प्रत्येक प्रकार का सूचना संग्रह अच्छे तरीके से किया जाना चाहिए, क्योंकि सवाल ग्राहकों की वास्तविक आवश्यकताओं को तभी सामने ला सकते हैं जब उन्हें सही ढंग से और सही समय पर पूछा जाए। इसलिए, ऑडियंस के साथ काम करने के लिए सभी प्रकार के सवालों को ध्यान में रखते हुए, बिक्री की रणनीति में ऐसे सर्वे शामिल करना महत्वपूर्ण है। पूछे जाने वाले सवाल विस्तृत हो सकते हैं (अर्थात, उनका जवाब सिर्फ "हां" या "ना" नहीं, बल्कि एक पूर्ण विस्तृत वाक्य है), और संक्षिप्त (जो यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि मैनेजर ने ग्राहक को अच्छे तरीके से समझा है)। जांच-पड़ताल वाले और स्पष्ट करने वाले सवाल भी होते हैं जो आपको बातचीत बनाए रखने और बातचीत पर नियंत्रण रखने में मदद करते हैं। आपको काल्पनिक सवालों का भी उपयोग करना चाहिए जो ग्राहक को भविष्य के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं, और वैकल्पिक सवालों का, जो ग्राहक को उत्पाद के मापदंडों के आधार पर कुछ विशिष्ट विकल्पों में से चुनने के लिए कहते हैं।

किसी ग्राहक से उसकी आवश्यकताएँ निर्धारित करने के लिए पूछे जाने वाले सबसे प्रासंगिक सवाल निम्नलिखित हैं:

  • किस सर्विस में आपकी रुचि है?

  • किसी प्रोडक्ट को खरीदते समय आप सबसे पहले किस चीज पर ध्यान देते हैं?

  • आप किस उद्देश्य से प्रोडक्ट को चुन रहे हैं?

  • क्या आप यह प्रोडक्ट अपने लिए चुन रहे हैं या फिर किसी को गिफ्ट देने के लिए?

  • क्या आपने पहले भी इस तरह के प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया है?

  • क्या आपके लिए प्रोडक्ट की विशेषताओं जैसे - रंग, मॉडल, से जुडी कोई विशिष्ट प्राथमिकताएँ रखती हैं?

  • आपका बजट क्या है?

  • क्या आप हमारी रेंज से परिचित हैं?

  • क्या मैं आपको कोई विकल्प सुझा सकता हूँ?

  • प्रस्तावित विकल्पों में से आपको कौन सा विकल्प सबसे ज्यादा पसंद है?

  • आप कैसे भुगतान करना पसंद करेंगे: अभी या किश्तों में?

याद रखें कि आपको सभी सवाल एक साथ नहीं पूछने चाहिए, आप जिससे बात कर रहे हैं उनकी राय की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और बातचीत को पूछताछ में बदलना नहीं चाहिए। ग्राहक की समस्या में सहज रूप से दिलचस्पी लेने की कोशिश करें, जो कठिनाइयाँ उत्पन्न हुई हैं उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा जल्द और प्रभावी तरीके से हल करने के लिए परवाह और इच्छा दिखाएं। साथ ही, याद रखें कि सर्वे का मुख्य कार्य यथासंभव बारीक़ और विस्तृत जानकारी प्राप्त करना है।

  1. कंपनी की वेबसाइट, सोशल नेटवर्क और विशेष प्लेटफॉर्म पर रिव्यू

ज़्यादा से ज़्यादा ग्राहकों वाले विषयगत फ़ोरम और सोशल नेटवर्क की कम्युनिटी का अध्ययन करना आवश्यक है। इसके अलावा, खरीदार अक्सर कंपनी के ऑफिशियल सोशल नेटवर्क, ट्रेडिंग प्लेटफार्म और मार्केटप्लेस पर खरीदे गए उत्पाद के बारे में कमैंट्स छोड़ते हैं। यह वह जगह है, जहाँ उपयोगकर्ता बिना अपना नाम उजागर किये किसी विशेष उत्पाद के बारे में ईमानदारी से अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसलिए, ऐसी इंटरनेट साइटों का उपयोग करके, आप मूल्यवान आलोचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं, कस्टमर सर्विस और रखरखाव में कमज़ोरियों का पता लगा सकते हैं, ऐसी समस्याओं के बारे में जान सकते हैं जो उत्पाद के निर्माताओं के लिए स्पष्ट नहीं हैं, और अन्य कस्टमर पेन पॉइंट्स का पता लगा सकते हैं। ऐसा करने के लिए, कमैंट्स, सवालों और रिव्यु का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। इसके अलावा, इन तीनों को सवाल-जवाब से जुडी विशेष सेवाओं पर ट्रैक किया जा सकता है। यह ग्राहकों की जरूरतों का विश्लेषण करने और उनके पेन की पहचान करने का एक और स्रोत है। उदाहरण के लिए, राय साझा करने का सबसे लोकप्रिय प्लेटफ़ॉर्म Quora है।

  1. सर्च क्वेरी

सबसे लोकप्रिय सर्च क्वेरी का अध्ययन ग्राहकों की आवश्यकताओं को खोजने का एक समान रूप से प्रभावी तरीका माना जाता है। उपयोगकर्ता इंटरनेट पर जो जानकारी खोजेंगे उससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कंपनी के उत्पादों से जुड़े कौन से डर, संदेह और सवाल उन्हें परेशान कर रहे हैं। इस डेटा की मदद से, खरीदारों के लिए प्रासंगिक प्रस्ताव बनाना संभव है, जो बाद में उपयोगी और मांग में होगा।

  1. कस्टमर जर्नी मैप

यह ग्राहक और कंपनी के बीच बातचीत के अनुभव को दृष्टिगत रूप से पेश करने के लिए एक विशेष मार्केटिंग टूल है। ऐसा मैप उस रूट को विस्तार से पेश करता है, जिस पर उपभोक्ता अपनी आवश्यकता को महसूस करने से लेकर सीधे सही प्रोडक्ट प्राप्त करने तक जाता है। यह आपको ब्रांड को खरीदारों की नज़र से देखने और उनके लक्ष्यों, उद्देश्यों, वित्तीय आदतों और डर को समझने की अनुमति देता है। साथ ही, टार्गेटेड ऑडियंस का विस्तृत विश्लेषण यह पता लगाने में मदद करता है, कि बातचीत के प्रत्येक चरण में क्या कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ग्राहक की आवश्यकता पूरी हो और वह फिर से कंपनी की सेवाओं की ओर रुख करे। दूसरे शब्दों में, यह दर्शकों के जीवन का एक व्यापक दृष्टिकोण देता है और आपको सबसे संभावित जरूरतों की भविष्यवाणी करने की अनुमति देता है। इसलिए, ऐसे मानचित्रों का उपयोग किसी नए उत्पाद के विकास की रणनीति विकसित करने के लिए सबसे सही होता है, जो वक्त से आगे काम करेगा और ग्राहकों की उन जरूरतों को पूरा करेगा जो अभी तक पैदा भी नहीं हुई हैं।

  1. मार्केट का रिसर्च

बाज़ार की स्थिति को समझना, और अपने प्रतिद्वंद्वियों, उनके प्रस्तावों, रणनीतियों और उपयोग किये गए अविष्कारों को जानना कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। आपको प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के विज्ञापन प्रस्ताव, सोशल नेटवर्क पर उनके पोस्ट, साइटें और लेंडिंग नियमित तौर पर देखना और उनका अध्ययन करना चाहिए। इसके बाद आपको एक विस्तृत विश्लेषण करके प्रतिद्वंद्वियों के लाभों और खामियों का पता लगाना है, और यह भी देखना है कि उनका विज्ञापन किन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके अलावा, समान कंपनियों के उत्पादों के रिव्यु और कमेंट भी पढ़े। ये सब आपको आपके संभावित ग्राहकों की उन आवश्यकताओं को पहचानने में मदद करेगा, जो प्रतिद्वंद्वियों द्वारा पूरी नहीं हो पाईं।

  1. ग्राहकों के व्यवहार का विश्लेषण

कंपनी या किसी विशेष प्रोडक्ट के संभावित ग्राहकों को कुछ मूल विशेषताओं जैसे - लिंग, आयु, रहने की जगह और आय का स्टार के आधार पर वर्गीकृत करने के अलावा, हर उपभोक्ता ग्रुप के व्यवहार को भी देखना ज़रूरी है। उनकी वित्तीय आदतों, डर, मनोवैज्ञानिक विशेषताओं, ज़रूरतों और प्रोडक्ट के प्रति उनकी अपेक्षाएं, और सब से अक्सर मिलने वाली आवश्यकताओं को निर्धारित करना चाहिए।

इस तरह, ग्राहक आवश्यकताओं का निर्धारण आपके लिए एक प्रभावी मार्केटिंग टूल बन सकता है जो बिक्री को तेज़ी से बढ़ने में सक्षम हो और साथ ही साथ ग्राहकों के साथ विश्वासपूर्ण दीर्घकालिक रिश्ते स्थापित करने में भी मदद करे। यह याद रखना ज़रूरी है कि ग्राहकों की राय और अनुभव नज़रअंदाज़ करके उनको किसी उत्पाद को चुनने पर मजबूर करना बिलकुल ग़लत है। आपको ग्राहक की परवाह करनी चाहिए, उनके साथ बात करने का एक खास व्यक्तिगत तरीका ढूढ़ना है, उनकी ज़रूरतों को समय से पहले जानना है और उनको ज़्यादा से ज़्यादा प्रभावी रूप से पूरा करने का तरीका ढूंढना है। इस स्थिति में ग्राहक की सभी आवश्यकताओं को जानकार कंपनी अपने उत्पाद और ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार ला पाएगी, ज़्यादा प्रभावी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी विकसित करेगी जो किसी विशेष आवश्यकता को पूरा करने पर केंद्रित हों, बदलावों पर जल्दी प्रतिक्रिया देने, मार्केट परिस्थितियों के अनुकूल बनने, अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त को बढ़ाने और नए ऑडियंस को आकर्षित करने में सक्षम होगी।

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