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प्रोजेक्ट मैनेजर

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प्रोजेक्ट मैनेजर कौन होता है?

प्रोजेक्ट मैनेजर - वह विशेषज्ञ होता है जो विभिन्न टीम प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन के लिए ज़िम्मेदार होता है। इसका अर्थ है अन्य विशेषज्ञों के कार्य का आयोजन और पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व करना। दूसरे शब्दों में, प्रोजेक्ट मैनेजर वह कड़ी है जो कर्मचारियों - जैसे डेवलपर, मार्केटिंग विशेषज्ञ, डिज़ाइनर, विश्लेषक - और साथ ही प्रोजेक्ट टीम व ग्राहक के बीच संबंध बनाए रखता है।

मुख्य रूप से, प्रोजेक्ट मैनेजर प्रबंधन कार्यों में लगा होता है - टीम का चयन, बजट निर्धारण, समस्याओं की पहचान और समाधान, संभावित जोखिमों का विश्लेषण, तथा टीम के भीतर और स्टेकहोल्डर्स के साथ कम्युनिकेशन बनाए रखना।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रोजेक्ट एक निश्चित अवधि के लिए होता है - यह कोई स्थायी प्रक्रिया नहीं है। किसी भी प्रोजेक्ट की हमेशा एक शुरुआत और एक अंत होता है, जबकि विभिन्न प्रक्रियाएँ उस पूरे समय तक चल सकती हैं जब तक कंपनी अस्तित्व में है।

उदाहरण के लिए, नई वेबसाइट डेवेलप करना और लॉन्च करना, वार्षिक सम्मेलन आयोजित करना, मोबाइल ऐप बनाना, ऑफिस को नई इमारत में ट्रांसफर करना, या कर्मचारियों के प्रशिक्षण की नई प्रणाली तैयार करना - ये सभी प्रोजेक्ट्स हैं। इनके पास एक निर्धारित बजट, समय सीमा, और टीम (जिसका नेतृत्व प्रोजेक्ट मैनेजर करता है) होती है। इसके विपरीत, प्रोसेस (प्रक्रिया) एक लगातार दोहराई जाने वाली गतिविधि होती है, जो कंपनी के स्थिर संचालन को सुनिश्चित करती है। उदाहरण के लिए, लेखा-जोखा प्रबंधन, ग्राहकों के ऑर्डर्स को प्रोसेस करना, वेबसाइट अपडेट करना आदि प्रक्रियाओं के अंतर्गत आते हैं।

प्रोजेक्ट्स विभिन्न उद्योगों में होते हैं - जैसे IT, औद्योगिक उत्पादन, चिकित्सा, शिक्षा, और निर्माण क्षेत्र। इसलिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञों की आवश्यकता हर स्तर पर होती है - लघु और मध्यम उद्यमों से लेकर बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों तक।

दिलचस्प बात यह है कि प्रोजेक्ट मैनेजर का पेशा पिछली सदी के मध्य में ही उत्पन्न हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बड़े-बड़े तकनीकी, रक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शुरू हुए - जैसे परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में। उसी समय संगठित प्रबंधन की गहरी आवश्यकता महसूस हुई, और इसके लिए प्रारंभिक उपकरण विकसित किए गए। उदाहरण के लिए, गैंट चार्ट - जो यह दर्शाता है कि किसी कार्य को पूरा करने के लिए कौन सी समय-सीमा का पालन करना आवश्यक है।

1969 में, अमेरिका में Project Management Institute (PMI) की स्थापना की गई - यह प्रोजेक्ट मैनेजरों के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय संस्था थी। 1996 में, PMI ने PMBOK (Project Management Body of Knowledge) का पहला संस्करण जारी किया - जो इस पेशे का मानक बना। 2000 के दशक तक आते-आते लचीली कार्यप्रणालियाँ (Agile, Scrum) विकसित हुईं, जो विशेष रूप से आईटी और स्टार्टअप्स में बेहद लोकप्रिय हो गईं। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के प्रसार और सॉफ़्टवेयर विकास के साथ, प्रोजेक्ट मैनेजरों की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई। आधुनिक आईटी प्रोजेक्ट्स अक्सर जटिलता, बहुआयामी संरचना, और तेज़ी से बदलते परिवेश से पहचाने जाते हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में प्रोजेक्ट मैनेजरों की सबसे अधिक मांग होती है।

प्रोजेक्ट मैनेजर और क्या करता है?

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उसकी मुख्य ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं:

  • प्रोजेक्ट की योजना बनाना

इसमें ग्राहक से मुलाकात करना, कार्य और आवश्यकताओं का समन्वय करना, अपेक्षाओं, संभावित बजट और समय-सीमा को स्पष्ट करना शामिल है। इसके बाद मैनेजर को यह निर्धारित करना होता है कि प्रोजेक्ट कैसे, कौन से उपकरणों की मदद से, और कितने समय में पूरा किया जाएगा। साथ ही, यह भी आकलन किया जाता है कि तीन परिदृश्यों - निराशावादी, तटस्थ और आशावादी - में प्रोजेक्ट पर कितना खर्च आ सकता है।

  • टीम का प्रबंधन

इसमें कर्मचारियों के बीच मुख्य कार्यों की ज़िम्मेदारी बाँटना, डेडलाइन की जानकारी देना, और आगे चलकर दैनिक या साप्ताहिक मीटिंग्स का आयोजन शामिल है। साथ ही, प्रोजेक्ट मैनेजर विवादास्पद या कठिन स्थितियों को हल करने में टीम की मदद करता है।

  • कम्युनिकेशन

यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि प्रोजेक्ट के सभी प्रतिभागियों के बीच प्रभावी संपर्क बनाए रखा जाए - और इसमें केवल टीम (जैसे प्रोग्रामर, कंटेंट राइटर, SMM-विशेषज्ञ, डेटा साइंटिस्ट) ही नहीं, बल्कि ग्राहक, निवेशक, और अन्य स्टेकहोल्डर्स (जैसे सप्लायर आदि) भी शामिल होते हैं। संचार की प्रक्रिया में कार्य-संबंधी प्रश्नों पर लिखित संवाद (ईमेल, चैट) और व्यक्तिगत चर्चाएँ शामिल होती हैं। इसी कारण, प्रोजेक्ट मैनेजर को प्रोजेक्ट के सभी विवरणों से अवगत रहना आवश्यक होता है - चाहे वह डेवलपमेंट, डिज़ाइन, या सूचनात्मक समर्थन से संबंधित हों। इसके अलावा, उसकी ज़िम्मेदारी में कॉमन चैट्स की निगरानी, रिपोर्ट तैयार करना, टीम को आवश्यक जानकारी प्रदान करना, तथा आवश्यकताओं और परिवर्तनों का समन्वय करना भी शामिल है। साथ ही, ग्राहकों और टीम के सदस्यों से प्राप्त फीडबैक भी अत्यंत महत्वपूर्ण है - ताकि पूरे कार्य-प्रक्रिया में सुधार किया जा सके।

  • डेडलाइन और कार्यों का नियंत्रण

इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि सभी कार्य योजना के अनुसार पूरे किए जा रहे हैं, साथ ही टास्क ट्रैकरों में कार्यों की स्थिति को समय-समय पर अपडेट करना। इसके लिए विभिन्न प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टूल्स का उपयोग किया जा सकता है - जैसे Trello, Asana, Jira, ClickUp, Todoist आदि। ये उपकरण अलग-अलग फीचर्स और कार्यप्रणालियाँ प्रदान करते हैं - सरल कानबन बोर्ड से लेकर जटिल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम्स तक, जिनमें डायग्राम्स, टाइम ट्रैकिंग और अन्य विश्लेषणात्मक सुविधाएँ शामिल होती हैं। प्रोजेक्ट मैनेजर की जिम्मेदारी होती है डेडलाइन के उल्लंघन को रोकना और यह सुनिश्चित करना कि सभी कार्य समय पर पूरे हों।

  • बजट मैनेजमेंट

इसका अर्थ है खर्चों पर नियंत्रण रखना और यदि अतिरिक्त संसाधनों - जैसे समय या वित्तीय सहायता - की आवश्यकता पड़े, तो मैनेजमेंट से इसके बारे में बात करना।

  • रिस्क मैनेजमेंट

इसमें संभावित जोखिमों का विश्लेषण और इन्हें न्यूनतम करने की रणनीतियों का निर्माण शामिल है।

  • रिपोर्टिंग

इसका मतलब है प्रोजेक्ट की प्रगति और प्रत्येक कार्य की स्थिति पर नियमित रिपोर्ट तैयार करना, साथ ही स्टेकहोल्डर्स को लिए गए निर्णयों और उत्पन्न हुई समस्याओं के बारे में सूचित करना।

  • जाँच

इस चरण में प्रोजेक्ट मैनेजर यह सुनिश्चित करता है कि काम के परिणाम वही हैं, जिन पर ग्राहक के साथ पहले सहमति हुई थी। इसके बाद उत्पाद का परीक्षण लॉन्च आयोजित किया जाता है, ताकि यह जांचा जा सके कि सब कुछ सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं, और कहीं कोई एरर या कमियाँ तो नहीं हैं।

  • प्रोजेक्ट की समाप्ति

इसमें परिणामों का मूल्यांकन, योजना बनाम वास्तविकता का विश्लेषण, गलतियों की समीक्षा, और अंत में प्रोजेक्ट को ग्राहक को सौंपना शामिल है।

इस प्रकार, पूरे दिन के दौरान प्रोजेक्ट मैनेजर लगातार संपर्क में रहता है, कॉल्स और मीटिंग्स करता है (जैसे नए सप्लायर, ग्राहक या उत्पाद निर्माताओं के साथ), ईमेल और मैसेंजर में संदेशों की जाँच करता है, daily stand-up आयोजित करता है, और टीम से प्राप्त फीडबैक के आधार पर उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान करता है। साथ ही, वह प्रोजेक्ट प्लान और अन्य दस्तावेज़ों को अपडेट करता रहता है, ताकि सब कुछ व्यवस्थित रूप से आगे बढ़े।

प्रोजेक्ट मैनेजर को कौन-कौन सी सॉफ्ट और हार्ड स्किल्स की आवश्यकता होती है

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प्रोजेक्ट मैनेजर का कार्य केवल समय सीमा और कार्यों पर नियंत्रण रखना नहीं है। यह एक ऐसी भूमिका है, जो टीम, ग्राहक और अंतिम परिणाम - इन सभी के बीच संबंध जोड़ने वाला सेतु होती है। इसीलिए प्रोजेक्ट मैनेजर के पास न केवल हार्ड स्किल्स होने चाहिए, बल्कि सॉफ्ट स्किल्स भी, जो विशेष रूप से प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन और बड़ी टीमों के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हार्ड स्किल्स - वे स्किल्स होती हैं जिन्हें मापा जा सकता है और सिखाया जा सकता है। प्रोजेक्ट मैनेजर के लिए आवश्यक हार्ड स्किल्स में शामिल हैं:

  • प्रोजेक्ट मैनेजमेंट मेथडोलॉजी का ज्ञान (Waterfall, Agile, Scrum, Kanban) और उन्हें लागू करने की क्षमता

विभिन्न प्रोजेक्ट्स - उद्योग, उद्देश्यों और समयसीमा के आधार पर - अलग-अलग दृष्टिकोण की मांग करते हैं। उदाहरण के लिए, आईटी स्टार्टअप का लॉन्च वही प्रक्रिया नहीं अपनाएगा जो नए शॉपिंग सेंटर का निर्माण या फ्रैंचाइज़ी रेस्टोरेंट खोलने के लिए उपयोग की जाती है। इसलिए, प्रोजेक्ट मैनेजर को सक्षम होना चाहिए कि वह किसी भी निर्दिष्ट दृष्टिकोण को उस संदर्भ के अनुसार अनुकूलित कर सके, जिसमें वह कार्य कर रहा है।

  • प्रोजेक्ट टूल्स के साथ काम करने की क्षमता

इसमें विशेष सॉफ़्टवेयर का ज्ञान और उपयोग शामिल है, जो कार्य संगठन, समयसीमा और संसाधनों के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, Notion, MS Project और अन्य एप्लिकेशन। इन उपकरणों के बिना, प्रोजेक्ट अव्यवस्थित हो सकता है, टीम को टास्क समझने में उलझन हो सकती है, और डेडलाइन पार हो सकती हैं।

  • संबंधित क्षेत्र में मूलभूत ज्ञान

अकसर प्रोजेक्ट मैनेजर एक ही या संबंधित उद्योगों में प्रोजेक्ट्स संभालते हैं, क्योंकि उद्योग की विशिष्टताओं को समझना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि आप आईटी प्रोजेक्ट संभाल रहे हैं, तो आपको सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के सभी चरण, फ्रंट-एंड और बैक-एंड की कार्यप्रणाली, API के साथ काम करने के सिद्धांत, और सामान्यतः उपयोग होने वाली शब्दावली समझनी चाहिए।

  • विश्लेषणात्मक कौशल

यह महत्वपूर्ण है कि प्रोजेक्ट मैनेजर प्रोजेक्ट की लागत का आकलन, अधिक खर्चों का पूर्वानुमान, मेट्रिक्स का विश्लेषण कर सके और हमेशा सांख्यिकीय नियंत्रण बनाए रखे।

सॉफ्ट स्किल्स - ये व्यक्तिगत गुण होते हैं, जो यह तय करते हैं कि PM लोगों के साथ कैसे संवाद करता है और प्रोजेक्ट के विभिन्न चरणों में तनाव और अनिश्चितता का सामना कैसे करता है।

  • कम्युनिकेशन स्किल

प्रोजेक्ट मैनेजर सभी के लिए एक संपर्क बिंदु होता है - ग्राहक, डेवलपमेंट टीम, मार्केटिंग विशेषज्ञ, टेस्टर्स आदि। और अविवेकपूर्ण या गलत समझ अक्सर प्रोजेक्ट विफलता का मुख्य कारण बनती है।

  • सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता

टीम की स्थिति को महसूस करना, उनकी प्रेरणा और थकान को समझना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बिना लोगों का प्रभावी प्रबंधन करना संभव नहीं है।

  • तनाव सहनशीलता

यह महत्वपूर्ण है कि प्रोजेक्ट मैनेजर हमेशा तैयार रहे कि कभी भी योजना के अनुसार सब कुछ नहीं हो सकता। प्रोजेक्ट मैनेजर को शांतचित्त रहना चाहिए, तेजी से निर्णय लेना चाहिए, और घबराना नहीं चाहिए। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रोजेक्ट मैनेजर पूरे टीम का भावनात्मक वातावरण निर्धारित करता है - यदि वह घबराएगा, तो टीम के अन्य सदस्य भी प्रभावित होंगे। एक पेशेवर प्रोजेक्ट मैनेजर को शांति और सफलता में आत्मविश्वास का प्रतीक होना चाहिए।

  • संगठन और प्रणालीबद्धता

इसका मतलब है एक समय में कई कार्यों को याद रखना, विवरणों को भूलने से बचना, और संरचित तरीके से सोचना। हर प्रोजेक्ट में कई चर होते हैं, और यदि प्रोजेक्ट मैनेजर उनमें उलझ जाए और अव्यवस्था पैदा करे, तो प्रोजेक्ट विफल हो सकता है।

  • वार्ता और विवाद समाधान कौशल

संघर्ष और विवाद किसी भी टीम कार्य का अविभाज्य हिस्सा होते हैं। इसलिए प्रोजेक्ट मैनेजर के लिए ग्राहक को मनाना, टीम के साथ समझौता करना, और तनाव कम करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए वह विभिन्न रणनीतियाँ और तकनीकें लागू करता है: उदहारण के लिए, सहयोग - मिलकर समाधान खोजना, समझौता - परस्पर रियायतें, परिहार - केवल तब जब विवाद मामूली हो और तीसरे पक्ष को शामिल किए बिना हल किया जा सके। महत्वपूर्ण है कि मैनेजर निष्पक्ष और सतर्क रहे, हित और चिंताओं को पहचानने में मदद करे, और विवादों को रचनात्मक समाधान की दिशा में ले जाए।

  • संसाधनशीलता

यह अनिश्चितता का सामना करने और सबसे कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद करता है।

  • लचीलापन और अनुकूलन क्षमता

ग्राहकों की आवश्यकताओं में बदलाव, फीडबैक, अप्रत्याशित समस्याएँ और नई संभावनाएँ प्रोजेक्ट मैनेजर से यह अपेक्षा करती हैं कि वह तेज़ी से योजना में बदलाव करे और रणनीति को समायोजित कर सके।

प्रोजेक्ट और प्रोडक्ट मैनेजर के बीच क्या अंतर है?

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कई लोग मानते हैं कि प्रोजेक्ट मैनेजर और प्रोडक्ट मैनेजर की भूमिकाएँ एक-दूसरे के विकल्प हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके अंतर को समझने के लिए दोनों शब्दों - "प्रोडक्ट" और "प्रोजेक्ट" का विश्लेषण करना पर्याप्त है। प्रोडक्ट - यह एक विशिष्ट सामान या सेवा होता है, यानी एक ठोस और निश्चित वस्तु, जिसकी बिक्री ही व्यवसाय का मूल उद्देश्य है और जो इसे चलाए रखती है। प्रोजेक्ट इसके विपरीत, एक समय-सीमित प्रक्रिया होता है।

दूसरे शब्दों में, प्रोडक्ट कई प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन का परिणाम होता है। इसलिए, प्रोडक्ट मैनेजर प्रोडक्ट की रणनीति और विकास के लिए जिम्मेदार होता है, यह तय करता है कि यह प्रोडक्ट किसके लिए है, और यह ग्राहक की कौनसी समस्याों का समाधान करता है। प्रोडक्ट मैनेजर लॉन्गटर्म सफलता, उत्पाद के मांग में रहने और उपयोगकर्ताओं की संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित करता है।

वहीं, प्रोजेक्ट मैनेजर विशिष्ट प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है, जो प्रोडक्ट के निर्माण और विकास के लिए आवश्यक होते हैं। उदाहरण के लिए: मोबाइल ऐप लॉन्च करना, नई वेबसाइट विकसित करना, सोशल मीडिया में मार्केटिंग कैंपेन तैयार करना। अकसर, प्रोडक्ट मैनेजर लक्ष्यों और उद्देश्यों को निर्धारित करता है, और प्रोजेक्ट मैनेजर उनके निर्धारित समयसीमा, बजट और अन्य सीमाओं के भीतर पूरा होने को सुनिश्चित करता है।

प्रोजेक्ट मैनेजर और SCRUM मास्टर में अंतर

प्रोजेक्ट मैनेजर और Scrum मास्टर - ये दोनों अलग-अलग भूमिकाएँ हैं, हालांकि दोनों टीम प्रबंधन से संबंधित हैं। प्रोजेक्ट मैनेजर पूरे प्रोजेक्ट के लिए जिम्मेदार होता है, जिसमें शामिल हैं: योजना बनाना, बजट, समयसीमा, लॉजिस्टिक्स और अंतिम परिणाम। वहीं, Scrum मास्टर केवल टीम की दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है। वह टीम को शिक्षित करता है, Scrum फ्रेमवर्क के अनुसार काम करने में मदद करता है। वास्तव में, वह टीम को सिधा नियंत्रित नहीं करता, बल्कि मार्गदर्शन देता है, कार्य में सुधार करता है, और प्रदर्शन बढ़ाने में मदद करता है।

प्रोजेक्ट मैनेजर का विभिन्न उद्यमों में क्या काम रहता है

प्रोजेक्ट मैनेजर की भूमिका लगभग हर क्षेत्र में होती है, लेकिन उसकी वास्तविक जिम्मेदारियाँ, उपयोग किए जाने वाले उपकरण और विशेषज्ञ से अपेक्षाएँ काफी भिन्न होती हैं।

उदाहरण के लिए, आईटी और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट में प्रोजेक्ट मैनेजर को आवश्यकताओं में बार-बार बदलाव के लिए, Agile/Scrum मेथडोलॉजी के अनुसार काम करने के लिए, कार्य को स्प्रिंट्स में बाँटने और उनके पूर्ण होने पर निगरानी रखने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही, उसे SDLC (Software Development Life Cycle) और CI/CD का ज्ञान होना चाहिए।

वहीं, निर्माण और इंजीनियरिंग में परिस्थितियाँ अलग होती हैं। यहां बहुत कम बदलाव होते हैं, लेकिन यहां सख्त नियम हैं, दस्तावेजों की मात्रा बहुत अधिक होती है, तथा गलतियों की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। इसमें प्रोजेक्ट मैनेजर मुख्यतः विस्तृत योजनाएँ, शेड्यूल और अनुमान तैयार करने, ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं का समन्वय, निर्माण मानकों और समयसीमा का नियंत्रण, तकनीकी दस्तावेज़, ड्रॉइंग्स के साथ काम करने में व्यस्त रहेगा। इसलिए उसे निर्माण के मानक, प्रोजेक्ट-एस्टिमेट दस्तावेज़ीकरण, और AutoCAD, MS Project, Primavera जैसे उपकरणों का ज्ञान होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, निर्माण क्षेत्र में प्रोजेक्ट मैनेजर की भूमिका, निर्माण प्रक्रिया का नियंत्रण करना होती है।

मार्केटिंग और कम्युनिकेशन में प्रोजेक्ट मैनेजर जिम्मेदार होता है विज्ञापन अभियान का लॉन्च करने के लिए। इसलिए, इस क्षेत्र में काम करने के लिए अत्यधिक अनिश्चितता, परिणामों के सब्जेक्टिव मूल्यांकन, और प्राथमिकताओं में तेजी से बदलाव के लिए तैयार रहना आवश्यक है। इस उद्योग में प्रोजेक्ट मैनेजर आमतौर पर क्रिएटिव टीम का गठन करता है, प्रमोशन रणनीतियाँ तैयार करता है, अभियानों के लॉन्च के समय पर निगरानी रखता है, और ग्राहक के साथ संशोधन का समन्वय करता है। वह ठेकेदारों (जैसे प्रोडक्शन हाउस या डिजिटल एजेंसियाँ) के साथ भी काम करता है। इसके लिए आवश्यक है कि वह मार्केटिंग टूल्स, जैसे CRM, Analytics, Media Planning का ज्ञान रखे, और क्रिएटिव आइडियाज को बिज़नेस की भाषा में अनुवादित करने में सक्षम हो।

प्रजेक्ट मैनेजर गैर-लाभकारी संगठनों में भी होते हैं। उनकी मुख्य विशेषताएँ हैं: सीमित बजट के साथ काम करना, सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना, कई स्टेकहोल्डर्स के साथ समन्वय करना, जिनसे सभी निर्णयों को अनुमोदित करना आवश्यक होता है। इस क्षेत्र में प्रोजेक्ट मैनेजर के लिए महत्वपूर्ण है: ग्रांट मैनेजमेंट की मूल बातें जानना, कम्प्लायंस का ज्ञान होना, रिपोर्टिंग और वित्तीय योजना में कौशल रखना, सहानुभूति दिखाना, और संसाधनों की कमी में काम करने की क्षमता रखना।

एक प्रोजेक्ट मैनेजर कैसे बने

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इस पेशे को हासिल करने के लिए कई तरीके हैं। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन कोर्स करना। आम तौर पर ऐसे एजुकेशनल प्रोग्राम लगभग 6 महीने से 1 साल तक चलते हैं। इनमें आपको सिखाया जाता है: डॉक्यूमेंटेशन तैयार करना, वार्ता करना और टीम बनाना, स्टेकहोल्डर्स के साथ काम करना। प्रोग्राम में थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों शामिल होते हैं। कई लोग इन कोर्सों में संबंधित उद्योगों से आते हैं और पहले से कई स्किल रखते हैं। उदाहरण के लिए, अक्सर मार्केटिंग विशेषज्ञ, विभाग समन्वयक, या कार्यकारी सहायक प्रोजेक्ट मैनेजर बन जाते हैं। यह कैरियर में उन्नति का एक प्रभावी साधन है।

प्रोजेक्ट मैनेजर के लिए कुछ मुख्य सर्टिफिकेशन हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं: PMP (Project Management Professional) - PMI के द्वारा और IPMA (International Project Management Association) सर्टिफिकेशन। इसके अलावा, PRINCE2, AgilePM और अन्य सर्टिफिकेशन भी लोकप्रिय हैं, जो प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की मेथडोलॉजी पर आधारित हैं।

इस प्रकार, प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में पुन:प्रशिक्षण कई मामलों में एक प्राकृतिक कैरियर रास्ता है और अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ अक्सर ख़ुद इस रास्ते से होकर गुजरते हैं। हालांकि, ज़ीरो से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सीखना भी संभव है - इसके लिए आप यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेकर संबंधित शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। कई नियोक्ता संबंधित शिक्षा को एक महत्वपूर्ण लाभ मानते हैं और ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं जिनके पास संबंधित डिग्री हो।

इसके बावजूद, यदि आपके पास संबंधित कार्य अनुभव और आवश्यक स्किल हैं, तो डिग्री का अभाव हमेशा बाधा नहीं होता। उदाहरण के लिए, आप प्रोजेक्ट मैनेजमेंट को खुद भी सीख सकते हैं - मुफ्त लेक्चर सुनकर, उन स्पीकर्स के इंटरव्यू देखकर जो अपना अनुभव साझा करते हैं, लेख और किताबें पढ़कर। शुरुआती लोगों के लिए कुछ अध्ययन सामग्री इस प्रकार हो सकती है:

  • «Deadline: प्रोजेक्ट मैनेजमेंट पर आधारित उपन्यास» - अमेरिकी इंजीनियर टॉम डीमार्को की पुस्तक। यह आपको प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के मूलभूत सिद्धांतों से परिचित कराती है, वास्तविक जीवन और प्रैक्टिस की कहानियों के माध्यम से। पुस्तक प्रोजेक्ट के जीवनचक्र के सभी चरणों को कवर करती है - योजना बनाना से लेकर प्रोजेक्ट को पूरा करने तक, और विशेष ध्यान योजना बनाने की प्रक्रिया और रिस्क मैनेजमेंट पर देती है।

  • «PMBOK गाइड» - प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की बाइबिल, जिसे Project Management Institute (PMI) ने बनाया। यह प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का व्यापक मार्गदर्शन प्रस्तुत करती है, जिसमें स्टैंडर्डस, प्रॉसेज़ और सबसे अच्छी प्रैक्टिस शामिल हैं।

  • «दी ह्यूमन फैक्टर: सक्सेसफुल प्रोजेक्ट्स एंड टीम्स» - यह पुस्तक टॉम डीमार्को और टिमोथी लिस्टर के सहलेखन में लिखी गई है। यह प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में मानव तत्व पर केंद्रित है। पुस्तक में टीम में बातचीत, प्रेरणा, कम्युनिकेशन बनाए रखना, और अन्य सॉफ्ट स्किल्स पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो प्रोजेक्ट की सफलता को प्रभावित करती हैं।

  • «Scrum: रेवोलुशनरी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट मेथड» - अमेरिकी प्रोग्रामर जेफ सादरलैंड की पुस्तक है, जो Scrum मेथडोलॉजी और Agile Manifesto के विकासकर्ताओं में से एक हैं। यह पुस्तक IT प्रोजेक्ट्स में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली Scrum विधि का मार्गदर्शन देती है। इस पुस्तक में लेखक Scrum के सिद्धांतों और लचीली कार्यप्रणाली को विस्तार से समझाते हैं।

निष्कर्ष

प्रोजेक्ट मैनेजर का पेशा सबसे पहले जिम्मेदारी, तेज़ निर्णय लेने की क्षमता, अप्रत्याशित समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने, और सबसे जटिल कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बारे में है। इसलिए, यदि आपको व्यवस्था बनाने, कई चरणों और घटकों वाली प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने, लोगों के साथ संवाद करने, और जिम्मेदारी लेने में आनंद आता है, तो आप पेशेवर प्रोजेक्ट मैनेजर बन सकते हैं।

लेकिन यदि आपको दबाव में काम करना मुश्किल लगता है, और आपको कठोर समय-सीमाओं और अनिश्चितताओं के साथ काम करना कठिन लगता है, और आप ज्यादा स्वतंत्रता चाहते हैं, तो आपको अन्य पेशों पर विचार करना चाहिए। प्रोजेक्ट मैनेजर को जोखिमपूर्ण परिस्थितियों या आपातकाल में योजनाओं को बदलने से डरना नहीं चाहिए। इसके अलावा, उसे अक्सर दशकों कार्यों को एक साथ संभालना, कई संघर्षों का समाधान करना, सप्लायरों के साथ समझौते करना, और रिपोर्टिंग करना पड़ता है।

इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप अपनी तनाव सहनशीलता, संघर्ष प्रबंधन और रचनात्मक संवाद की क्षमता को लगातार विकसित करें। क्यूंकि यह इस मेहनत का हक़दार है! प्रोजेक्ट मैनेजर का पेशा आपको अलग-अलग क्षेत्रों और कंपनियों में कई अवसर प्रदान करता है - आईटी स्टार्टअप्स से लेकर बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियाँ, चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन, मेडिकल और शैक्षिक केंद्र तक। इसके अलावा, यह पेशा आपको यूनिवर्सल और हर जगह डिमांड वाली स्किल्स विकसित करने का अवसर भी देता है।

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